शहर का एकमात्र संक्रामक रोग अस्पताल अब बंद हो जाएगा. इसकी जगह अब कार्डियोलॉजी का एक्सपेंशन होगा. संक्रामक रोग अस्पताल में आने वाले मरीजों और स्टॉफ का क्या होगा इस बारे में अभी कोई ठोस योजना नहीं बनी है.मालूम हो कि आईडीएच अस्पताल में अभी भी स्वाइन फ्लू से लेकर कई दूसरी संक्रामक बीमारियों के मरीजों को भर्ती किया जाता है. ऐसे में हर साल आने वाले सैकड़ों मरीजों का क्या होगा इसको लेकर अभी कोई पुख्ता कार्ययोजना नहीं है.
आधा नहीं अब पूरा कार्डियाेलॉजी का
1949 में बने संक्रामक रोग अस्पताल की आधी बिल्डिंग में एलपीएस इंस्टीटयूट ऑफ कार्डियोलॉजी की नई ओपीडी, डायग्नोस्टिक व पैथोलॉजी लैब, हार्टस्टेशन इत्यादि का निर्माण हो रहा है. कार्डियोलॉजी में मरीजों के भारी बोझ के चलते इसकी क्षमता बढ़ाने के लिए काफी समय से प्रयास चल रहे थे. कुछ दिनों पहले ही शासन ने कार्डियोलॉजी के नए ब्लॉक के निर्माण के लिए फंड भी स्वीकृत कर दिया है. इंस्टीटयूट के पीछे लॉड्री और नए सबस्टेशन का निर्माण है. ऐसे में नए ब्लॉक के निर्माण के लिए शासन से आईडीएच से मेडिकल कॉलेज कैंपस के अंदर आशा ज्योति केंद्र तक जमीन को कार्डियोलॉजी को देने के लिए शासन ने सैद्धांतिक सहमति दे दी है.
आईडीएच एक नजर में –
1949 में दीनानाथ पार्वती बांगला इंफेक्शस डिसीज हॉस्पिटल शुरू हुआ
84 बेडों की क्षमता थी अस्पताल में, साथ ही फ्लू ओपीडी भी यहां चलती
20 लाख का दवाओं का सालाना बजट मिलता है शासन से अस्पताल को
5 जिलों के 8 हजार एचआईवी पेशेंट्स रजिस्टर्ड, एआरटी सेंटर इसी बिल्डिंग में
20 कर्मचारियों का स्टाफ, सीएमएस, 3 सिस्टर, 7 स्वीपर, 6 वार्डब्वॉय और 3 जेआर
6 से ज्यादा गंभीर बीमारियों का होता है ट्रीटमेंट, जिसमें स्वाइन फ्लू व चिकन पॉक्स भी