ये तेल अगर आप लगते हैं तो हो जाए सावधान, इस तेल की ये बात जान के शायद आप…

सेलिब्रिटीज कई प्रोडक्ट का विज्ञापन करते हुए दिखाई देते है और दर्शको को उनका प्रोडक्ट खरीदने के लिए प्रेरित करते है ! गर्मियों के दिनों में सबसे ज्यादा विज्ञापन ठंडे ठंडे कूल कूल तेल का आता है ! वह तेल तो आपके सर को ठंडा करे आपको मानसिक तनाव से मुक्ति दे ! आपकी थकावट दूर करे ! हर कोई चाहता है कि गर्मियों के दिनों में कोई ऐसा तेल को जो सर को ठंडा रखे ! कुछ लोग बिना सोचे समझे सिर्फ विज्ञापन को देख कर प्रोडक्ट घर में ले आते है और फिर प्रोडक्ट को उपयोग करके पछताते है ! बीएचयू के इंस्टीट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंस ने इन तेलों पर शोध करके केंद्र सरकार को अपनी रिपोर्ट भेजी है जिसमे हैरान करे वाले तथ्य सामने आये है !

इस रिपोर्ट में में कहा गया है कि जो कंपनी अपने प्रोडक्ट में तेलों को सरदर्द, थकान, अनिद्रा जैसी बीमारी से छुटकारा दिलाने के लिए उनके तेल का प्रयोग करने की सलाह देती है वह तेल शरीर के लिए घातक होते है और कई बीमारियों को जन्म देते है ! इसी प्रकार से आयुर्वेद के नाम पर तेल में कपूर की मात्रा जरुरत से ज्यादा होने पर इससे आँखों की ज्योति कम हो सकती है और ब्रेन में सूजन होने जैसी गंभीर बीमारी हो सकती है !

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इन आयुर्वेदिक तेल के बारे में आईएमएस न्यूरोलॉजी के प्रोफेसर विजय नाथ मिश्र और उनकी टीम तेलों में कपूर के मिश्रण से होने वाले नुकसान के बारे में रिसर्च कर रही है ! इसी प्रकार से सर सुन्दरलाल हॉस्पिटल के न्यूरोलॉजी ओपीडी बिहार और पूर्वांचल से आये उन 500 मरीजो पर केस स्टडी कर रहे है जिन्होंने विज्ञापन में ठंडा ठंडा कूल कूल नाम के आयुर्वेदिक तेल का प्रयोग किया है ! दो साल की स्टडी के बाद एक रिपोर्ट तैयार की गई ! इस रिपोर्ट में कहा गया है कि इन ठंडा ठंडा कूल कूल के नाम से बिकने वाले तेल बीमारियाँ नहीं महा बीमारियों को जन्म दे रहे है !

प्रोफेसर मिश्र की रिपोर्ट के अनुसार तेल कंपनियों को अपने तेल में कपूर की मात्रा निर्धारित करने की आवश्यकता है ! तेल में ज्यादा कपूर का प्रयोग करने से यह दिमाग की नसों को कमजोर करता है ! इस असर फिर दिमाग पर पड़ता है जिसे व्यक्ति को हाइपर टेंशन और आँखों की ज्योति कम होने लगती है ! जिसे आगे चलकर स्ट्रोक होने का भी खतरा बना रहता है जिससे व्यक्ति की मृत्यु कभी भी हो सकती है ! जिम मरीजो ने इस प्रकार के तेलों का प्रयोग किया था उनको डॉक्टर ने दवाई देकर इसका प्रभाव कम किया है !

इस प्रकार के तेल ग्रामीण महिलाये अधिक करती है क्यूंकि वो घर और खेत में अधिक काम करती है साथ में उन्हें बच्चो को भी संभालना पड़ता है, जिस कारण से उन्हें थकान होने लगती है इसलिए वो अपनी थकान मिटाने के लिए इस प्रकार के तेलों का प्रयोग करती है ! प्रतिदिन इस तेल का उपयोग करने से महिलाये इसकी आदि हो जाती है इसलिए यह एक प्रकार का नशा है !

आजकल बाजार में ठंडा ठंडा कूल कूल नाम से 100 से ज्यादा आयुर्वेदिक तेल बिक रहे है ! कंपनी अपने प्रोडक्ट की अधिक बिक्री के लिए इसमें अधिक मात्रा में कपूर का प्रयोग कर रही है ! असल में ये कंपनी बिक्री के नाम पर जनता को बीमारी दे रही है ! अमेरिका में जब ये तेल बिकता है तो वहां पर मानक के अनुसार कपूर की मात्रा निर्धारित की जाती है ! लेकिम भारत में इस प्रकार का कोई नियम नहीं बना है ! अमेरिका में सिर्फ 11% कपूर की मात्रा का प्रयोग कर सकते है लेकिन भारत में कठोर कानून न होने पर कंपनियां कई गुना कपूर का प्रयोग करती है !

अगर कपूर को कम मात्रा में प्रयोग किया जाये तो यह फायदेमंद होता है लेकिन अधिक मात्रा होने पर यह नुकसान भी करता है ! कपूर तेल के साथ मिलकर हमारे शरीर की त्वचा के माध्यम से नसों में पहुँच जाता है ! और फिर यह गंभीर बीमारियों को जन्म देता है ! ऐसा होने से व्यक्ति को सिरदर्द, चक्कर आना, उल्टी, कम दृष्टि, ब्रेन अटैक, कार्पल टर्नर सिंड्रोम, उच्च रक्तचाप, स्ट्रोक जैसी गंभीर बीमारी हो सकती है ! इसलिए सरकार को चाहिए कि तेल में कपूर की मात्रा निर्धारित करे !

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