लड़की हो या लड़का, ये एक लक्षण देखने पर न करे नजरअंदाज

लड़की हो या लड़का, ये एक लक्षण देखने पर न करे नजरअंदाज

लड़की हो या लड़की, अगर आपको नजर आ जाएं ये लक्षण तो बिल्कुल देर न करें और डॉक्टर के पास जाएं। ध्यान नहीं दिया तो जिंदगी भर पछताना पड़ेगा। पीजीआई के इंडोक्राइनोलाजी डिपार्टमेंट के प्रोफेसर संजय बडाडा बेहद जरूरी टिप्स दे रहे हैं।लड़की हो या लड़का, ये एक लक्षण देखने पर न करे नजरअंदाज

संजय बडाडा बताते हैं कि गेहूं में पाए जाने वाले एक प्रोटीन ग्लूटेन से कई लोगों को एलर्जी होती है। इस वजह से उनकी पाचन शक्ति कमजोर हो जाती है। उन्हें बार-बार उल्टी होने लगती है, पेट फूल जाता है, खून की कमी हो जाती है और हड्डियां भी कमजोर पड़ने लगती हैं। इस वजह से कई बच्चों की हाइट नहीं बढ़ पाती है।

पीजीआई की रिसर्च के मुताबिक, एक हजार बच्चों में से चार-पांच लोग इससे पीड़ित होते हैं। हालांकि, यह बीमारी किसी भी उम्र में हो सकती है। पहले लोग कहते थे कि ये बीमारी हिंदुस्तान में नहीं होती, मगर अब इसके काफी केस आने लगे हैं। डॉक्टरों की भाषा में इस एलर्जी को सीलियक डिजीज भी कहते हैं। जेनेटिक रूप से बच्चों में होने वाली इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है। सिर्फ गेहूं से बनने वाले खाद्य पदार्थ से पूरी तरह दूरी बनाए रखने से ही बचा जा सकता है।

गेहूं की एलर्जी के क्या कारण हैं
पीजीआई के इंडोक्राइनोलाजी डिपार्टमेंट के प्रोफेसर संजय बडाडा के मुताबिक छह महीने से पहले नवजात को गेहूं खिलाया जाए तो उन बच्चों में इस बीमारी होने के चांस सबसे ज्यादा रहते हैं। इसके अलावा पेट खराब होने के वक्त गेहूं खाने से भी बीमारी होने की आशंका बढ़ती है। गेहूं खाने से आंतों में घाव होता और ग्लूटेन अंदर चला जाता है।

एलर्जी होने पर होते हैं ये कारण
पेट खराब होना, डायरिया का होना, पेट और हड्डी में दर्द, कुछ पेशेंट में कब्ज की शिकायत, वजन का कम होना, खून की कमी होना, बार-बार फ्रैक्चर का होना

जांच और इलाज
डॉक्टरों के मुतबिक जब भी इस तरह के लक्षण दिखे तो किसी अच्छे डॉक्टर को दिखाए। बच्चों को परेशानी आ रही है तो उसे बच्चों के अस्पताल में लेकर जाए। बड़ों को दिक्कत आए तो किसी अच्छे फिजीशियन या एंडोक्राइनोलाजिस्ट को दिखाएं। इस दौरान पीड़ितों का टीटीजी टेस्ट करवाएं जाते हैं। उसके बाद पुष्टि करने के लिए बायोप्सी करवाई जाती है। इलाज के नाम पर यही है कि ऐसे लोगों को गेहूं और उसके बने पदार्थ से दूर रहना चाहिए।

टाइप वन डायबिटीज पेशेंट को काफी संभावना
ऐसा देखा गया है कि वीट एलर्जी टाइप वन डायबिटीज और थायराइड के मरीजों में भी होती है। पीजीआई के एंडोक्राइनोलाजी डिपार्टमेंट के एक डाटा के मुताबिक टाइप वन डायबिटीज के 100 में से दस मरीजों में वीट एलर्जी की संभावना होती है। कुछ थायराइड के मरीजों में भी इस तरह की दिक्कतें देखी गई हैं।

इस बीमारी का इलाज यही है कि गेहूं और उससे बनी चीजों को खाना बंद कर दें। इससे कई बच्चों की ग्रोथ तक रुक जाती है। हमने एक स्टडी में देखा है कि बच्चों की हाइट कम होने की एक वजह वीट एलर्जी भी रही है।

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com