गुप्त नवरात्र आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष प्रतिपदा से लेकर नवमी तिथि तक मनाए जाते हैं । वर्ष 2018 में ये नवरात्र 13 जुलाई आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष प्रतिपदा से नवरात्र पारण 21 जुलाई को नवमी-दशमी के दिन तक रहेंगे।
गुप्त नवरात्र के महत्व को बताने वाली एक कथा भी पौराणिक ग्रंथों में मिलती है। कथा के अनुसार एक समय की बात है कि ऋषि शृंगी एक बार अपने भक्तों को प्रवचन दे रहे थे कि एक स्त्री हाथ जोड़कर ऋषि से बोली ‘‘गुरुवर, मेरे पति दुर्व्यसनों से घिरे हैं, जिसके कारण मैं किसी भी प्रकार के धार्मिक कार्य, व्रत, उपवास अनुष्ठान आदि नहीं कर पाती हूं। मैं मां दुर्गा की शरण लेना चाहती हूं, लेकिन मेरे पति के पापाचारों से मां की कृपा नहीं हो पा रही है। मेरा मार्गदर्शन करें।
तब ऋषि बोले कि वासंतिक और शारदीय नवरात्र में तो हर कोई पूजा करता है और सभी इससे परिचित हैं, लेकिन इनके अलावा वर्ष में दो बार गुप्त नवरात्र भी आते हैं इनमें नौ देवियों की बजाय दस महाविद्याओं की उपासना की जाती है। यदि तुम विधिवत इन नवरात्रों को कर सको तो मां दुर्गा की कृपा से तुम्हारा जीवन खुशियों से परिपूर्ण होगा। ऋषि के प्रवचनों को सुनकर स्त्री ने गुप्त नवरात्र में ऋषि के बताए अनुसार मां दुर्गा की कठोर साधना की। उसकी श्रद्धा एवं भक्ति से मां प्रसन्न हुई और कुमार्ग पर चलने वाला उसका पति सुमार्ग की ओर अग्रसर हुआ उसका घर खुशियों से संपन्न हो गया।