- झूठी एफआईआर लिख कर रहे ब्लैकमेल
- बिना जांच पड़ताल के लिखी गई जूठी एफआईआर
लखनऊ. एक बार फिर यूपी पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान खड़ा हुआ है। इस बार मामला बाराबंकी के देवा थाने का है जहां पर तीन साथियों को जमीन खरीदना भारी पड़ रहा है। इन तीनों साथियों ने देवा थाने के अन्तर्गत आने वाली मित्ताई चौकी के प्रभारी विजय यादव पर फर्जी मुकदमा लिख कर धन उगाही का आरोप लगाया है। पीडितों का आरोप है कि उन्होंने देवा थाने के अन्तर्गत आने वाले गॉंव टीरहार में एक किसान से लगभग दो बिगाह जमीन खरीदी थी जिसकी रजिस्ट्री भी हो गई है, लेकिन रजिस्ट्री के बाद किसान के मन में लालच आ गया और उसने झूठी तहरीर देकर मुकदमा लिखा दिया जिसके बाद से पुलिस हम पर नाजायज पैसे देने के लिए दबाव बना रही है और पैसा न देने पर जेल भेजने की धमकी दे रही है।
पुलिस की इन हरकतों से परेशान होकर बीते दिनों पीड़ितों ने एसपी व सीओ बाराबंकी से शिकायत की है। साथ ही पीडितों ने मामले की निष्पक्ष जांच कराने के लिए गृह सचिव को भी पत्र लिखा है। और आज मुख्यमंत्री से शिकायत करने के लिए पार्टी कार्यालय पहुंचे जहां सीएम एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने आए थे।
ये है पूरा मामला
बाराबंकी पुलिस की हरकतों की शिकायत करने आए विवेक श्रीवास्तव, इमरानव शशिकांत ने इन्वेस्टमेंट के लिए ग्राम टीपहार में किसान राम विलास पाल से जमीन खरीदी थी। जिसका पहले तो एग्रीमेंट व फिर बैनामा हो गया था। इस जमीन का सौदा कुल 18 लाख रूपय में हुआ था जो एग्रीमेंट में लिखा है। किसान को पहले के एग्रीमेंट के समय पैसा दिया गया बाकी बचे पैसे का भुगतान रजिस्ट्री के समय कर दिया गया। पीडितों से गलती ये हुई की अग्रीमेंट के दौरान भुगतान स्वरूप जो चार लाख की चेक किसान को दी गई वो बैक में पैसा न होने के नाते बाउन्स हो गई। जिसकी जानकारी मिलने पर किसान को चार लाख रूपये कैश भुगतान कर किया गया और चेक वापल ले लिया गया। जिसके बाद भी किसान ने इसी बाउंस चेक को आधार बनाते हुए पीडितों पर फर्जी मुकदमा लिखा दिया।
बिना जांच पड़ताल किए पुलिस ने लिखी एफआईआर
शिकायतकर्ता पीडितों का कहना है कि जमीन की रजिस्ट्री व पैसे के भुगतान के लगभग दो महीने के बाद किसान ने मित्ताई चौकी पर उनके खिलाफ तहरीर दी जिसकी बिना जांच पड़ताल किए पुलिस में उनके खिलाफ मुकदमा लिख लिया। इसके बाद से पुलिस किसान को पैसा दिलवाने के नाम पर उनसे लाखों रूपये की डिमांड कर रही है। पीड़ितों का कहना है कि यदि किसान को पैसे नहीं मिले थे तो उसने जमीन की रजिस्ट्री कैसे कर दी।
रजिस्ट्री के 50 दिन बाद दी तहरीर
पीडितों के अनुसार पूरी जमीन का सौदा 18 लाख रूपये में हुआ था। जिसमें ग्यारह लाख रूपये पहले ही 4 जून 2015 को रजिस्टर्ड एग्रीमेंट के समय दे दिए गए थे तथा शेष रूपये के लिए छ: माह का समय लिया तथा समय पूरा होने के पूर्व ही 1 दिसम्बर 2015 को शेष रूपये (7 लाख) देकर बैनामा करा लिया। लेकिन बैनामा हो जाने के लगभग 50 दिन बाद 28 जनवरी 2016 को किसान ने पुलिस को तहरीर दी जिसकी बिना जांच पड़ताल किए पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया। और तब से पुलिस तीनों जमीन के खरीददार से पैसे देने का दबाव बना रही है।
पुलिस क्यों नहीं कर रही कार्यवाही
पीड़ितों का कहना है कि यदि हम गलत हैं तो पुलिस क्यों हमारे खिलाफ कार्यवाही नहीं कर रही है। पुलिस बार बार हमें फोन कर के पैसे देने की बात क्यों कर रही है पुलिस ने जनवरी महीने में एफआईआर लिखी थी, तब से अब तक 6 महीने हो गए हैं। पुलिस अभी तक जांच ही पूरी नहीं कर पाई है। पुलिस का एक ही मकसद है हमें ब्लैक मेल कर के धन उगाही करना।
पुलिस कर रही है तीस लाख की मांग
इस पूरे मामले में सोचने वाली बात ये है कि अगर हम लोगों ने धोखा दिया तो रामविलास व उसके साथियों ने फिर जमीन क्यों हमारे पक्ष में बैनामा किया? पुलिस की तरफ से लगातार हम लोगों को पूछताछ के नाम पर बुलाकर मानसिक पीड़ा व 30 लाख रूपये देने का दबाव बनाया जा रहा है। पुलिस और रामविलास व उसके साथियों ने हमें बहुत प्रताड़ित कर रखा है। इसके लिए हम लोगों ने डी० जी० पी०,एस०पी० व गृह सचिव के यहाँ भी गुहार लगाई कि इस मामले की निष्पक्ष जांच करके हम लोगों के खिलाफ लिखी गयी झूठी F.I.R.को हटाया जाये तथा झूठी F.I.R. लिखवाने व लिखने वालों पर उचित कार्यवाही की जाये।