राज्य ब्यूरो, रांची। एक सरकारी डॉक्टर को झारखंड सरकार की लागू स्थानीय नीति सहित विभिन्न नीतियों का विरोध करना महंगा पड़ा। राज्य सरकार ने इसे सरकारी सेवक के कृत्य के विरुद्ध मामला मानते हुए कार्रवाई का निर्णय लिया है। उसे निंदन की सजा देने तथा दो वेतन वृद्धि पर रोक लगाने का निर्णय लिया गया है। इस संबंध में शीघ्र ही आदेश जारी किया जाएगा।राज्य ब्यूरो, रांची। एक सरकारी डॉक्टर को झारखंड सरकार की लागू स्थानीय नीति सहित विभिन्न नीतियों का विरोध करना महंगा पड़ा। राज्य सरकार ने इसे सरकारी सेवक के कृत्य के विरुद्ध मामला मानते हुए कार्रवाई का निर्णय लिया है। उसे निंदन की सजा देने तथा दो वेतन वृद्धि पर रोक लगाने का निर्णय लिया गया है। इस संबंध में शीघ्र ही आदेश जारी किया जाएगा।  पाकुड़ के बेलडांगा स्थित अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में पदस्थापित डॉ. हांसदा एस. शेखर ने 2016 में ही एक अंग्रेजी अखबार में एक आलेख लिखा था। इसमें राज्य सरकार की स्थानीय नीति का विरोध किया गया था। बताया जाता है कि इस आलेख में स्थानीय नीति के अलावा मुख्यमंत्री रघुवर दास के बारे में भी टिप्पणी की गई थी।  जब यह मामला राज्य सरकार के संज्ञान में आया तो कार्मिक विभाग ने यह कहते हुए कार्रवाई की अनुशंसा स्वास्थ्य विभाग से की कि सरकारी सेवक होने के नाते वह सरकार की नीतियों की आलोचना नहीं कर सकते। इसके बाद स्वास्थ्य विभाग ने डॉक्टर के विरुद्ध कार्रवाई का निर्णय लिया।    मोदी ने पीएम आवास लाभुकों से की बात, झारखंड की रानीमिस्त्री की तारीफ की यह भी पढ़ें विभागीय जांच पदाधिकारी ने उक्त डॉक्टर से स्पष्टीकरण मांगा, जिस पर संतोषजनक जवाब नहीं मिला। इसके बाद विभागीय जांच पदाधिकारी ने कार्रवाई की अनुशंसा विभाग से की। सरकारी सेवक आचार नियमावली के तहत कार्रवाई डा. हांसदा के विरुद्ध कार्रवाई सरकारी सेवक आचार नियमावली, 1976 के प्रावधानों के तहत की जा रही है। इस प्रावधान में कहा गया है कि कोई सरकारी सेवक सेवा में रहते हुए सरकारी नीतियों की आलोचना नहीं कर सकता।

पाकुड़ के बेलडांगा स्थित अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में पदस्थापित डॉ. हांसदा एस. शेखर ने 2016 में ही एक अंग्रेजी अखबार में एक आलेख लिखा था। इसमें राज्य सरकार की स्थानीय नीति का विरोध किया गया था। बताया जाता है कि इस आलेख में स्थानीय नीति के अलावा मुख्यमंत्री रघुवर दास के बारे में भी टिप्पणी की गई थी।

जब यह मामला राज्य सरकार के संज्ञान में आया तो कार्मिक विभाग ने यह कहते हुए कार्रवाई की अनुशंसा स्वास्थ्य विभाग से की कि सरकारी सेवक होने के नाते वह सरकार की नीतियों की आलोचना नहीं कर सकते। इसके बाद स्वास्थ्य विभाग ने डॉक्टर के विरुद्ध कार्रवाई का निर्णय लिया। 

विभागीय जांच पदाधिकारी ने उक्त डॉक्टर से स्पष्टीकरण मांगा, जिस पर संतोषजनक जवाब नहीं मिला। इसके बाद विभागीय जांच पदाधिकारी ने कार्रवाई की अनुशंसा विभाग से की। सरकारी सेवक आचार नियमावली के तहत कार्रवाई डा. हांसदा के विरुद्ध कार्रवाई सरकारी सेवक आचार नियमावली, 1976 के प्रावधानों के तहत की जा रही है। इस प्रावधान में कहा गया है कि कोई सरकारी सेवक सेवा में रहते हुए सरकारी नीतियों की आलोचना नहीं कर सकता।