नई दिल्ली | गुजरात में दलितों की पिटाई, मायावती को बीजेपी के पूर्व नेता द्वारा अपशब्द कहे जाने जैसे मामले सामने आने के बाद से दलित मुद्दे पर बीजेपी चारों तरफ से घिर गई है। ऐसे में महाराष्ट्र के बड़े दलित नेता रामदास आठवले को आगे कर बीजेपी उन्हें दलित चेहरा के तौर पर पेश कर सकती है। आठवले प्रभावशाली दलित नेता हैं और उन्हें हालिया कैबिनेट विस्तार में राज्यमंत्री बनाया गया है। एक अंग्रेजी अखबार को दिए इंटरव्यू में उन्होंने मायावती पर दलितों के मुद्दों को लेकर बड़ा हमला बोला है।
रामदास आठवले ने दिया मायावती को करारा जवाब
आठवले ने मायावती के बीजेपी को दलित विरोधी कहे जाने के आरोप का मजबूती से खंडन किया। उन्होंने कहा, ‘मायावती को प्रदेश के एक बड़े दलित समुदाय का समर्थन है। मेरी तरह वह भी मनुवाद का विरोध करती हैं। उन्हें यह नहीं भूलना चाहिए कि मायावती उत्तर प्रदेश में तीन बार बीजेपी के सहयोग से ही मुख्यमंत्री बनी हैं। 10 साल पहले अपने विश्वसनीय सहयोगी सतीश चंद्र मिश्रा के साथ मिलकर उन्होंने बड़ी संख्या में ब्राह्मणों को टिकट दिया था।’
आठवले ने यह भी कहा कि उत्तर प्रदेश में उनकी पार्टी दमदार मौजूदगी दर्ज की। बीएसपी को लगभग चुनौती देते हुए कहा, ‘दलितों के वोट पर मायावती का एकाधिकार नहीं है। यूपी हमारी पार्टी आरपीआई की भूमि रही है। हमारी धरती पर मायावती ने कब्जा कर लिया है। मैं उनसे अपनी जमीन वापस लेकर रहूंगा। अगर मैं उन्हें बेदखल करने में सफल नहीं भी रहा तो मैं अपने हिस्से की कुछ जमीन तो वापस हासिल कर ही लूंगा।’
सामाजिक कल्याण मंत्रालय के राज्यमंत्री का पद हाल ही में संभालने के बाद उन्होंने कहा कि वह आंबेडकर के सपने को पूरा करेंगे। आठवले ने मायावती पर निशाना साधते हुए कहा, ‘बीएसपी सुप्रीमो मायावती को अपना आदर्श बताती हैं, लेकिन वह उन पर नहीं चलती। वह आज भी हिंदू धर्म को मानती हैं। उन्होंने बौद्ध धर्म को नहीं अपनाया। हालांकि, कई बार घोषणा कर चुकी हैं धर्म परिवर्तन की, लेकिन आज भी हिंदू ही बनी हुई हैं।’
रामदास आठवले बौद्ध धर्म के अनुयायी हैं। बीजेपी के हिंदुत्ववादी चेहरे के सवाल पर उन्होंने कहा, ‘आरएसएस का चेहरा हिंदुत्ववादी है, लेकिन बीजेपी का चेहरा उतना हिंदुत्ववादी नहीं है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गांधीनगर वाले घर में महात्मा बुद्ध की प्रतिमा है। मैं बाबा साहेब के सपने को पूरा करना चाहता हूं और यह दुख की बात है कि अभी तक संसद परिसर में बुद्ध की प्रतिमा नहीं है। मैं कोशिश कर रहा हूं कि बुद्ध की मूर्ति संसद परिसर में लगाई जा सके।’
गुजरात में दलितों की पिटाई के मुद्दे पर आठवले ने स्पष्ट कहा कि गौरक्षा से पहले मानव रक्षा जरूरी है। उन्होंने कहा, ‘मैं खुद बौद्ध हूं और मानता हूं कि गायों की रक्षा होनी चाहिए। मैं हिंदू धर्म मानने वालों की भावनाओं का भी सम्मान करता हूं, लेकिन गौ रक्षकों को भी कानून के दायरे में रहना चाहिए। दलितों पर अत्याचार या दादागिरी बर्दाश्त नहीं कर सकते।’