शास्त्रों के अनुसार, गरिमामय आचरण ही किसी व्यक्ति का सबसे बड़ा आभूषण माना गया है। फिर चाहे वह महिला हो या पुरुष। लेकिन बात जब श्रृंगार की आती है तो यह खासतौर पर महिलाओं से जुड़ी होती है। महिलाओं के 16 श्रृंगार का विशेष महत्व है। यहां जानिए, कौन-से हैं ये 16 श्रृंगार…
बिंदी- कुमकुम या बिंदी को माथे पर आज्ञाकारी चक्र पर लगाना पवित्र माना जाता है। इसमें कुमकुम के टीके का विशेष महत्व है लेकिन अब स्टीकर बिंदी चलन में हैं।
काजल- आंखों की सुंदरता बढ़ाने और बुरी नजर से बचने के लिए काजल से नयन सजाए जाते हैं।
मेहंदी- हाथ-पैर की सुंदरता बढ़ाने के लिए मेहंदी का प्रयोग किया जाता है। यह श्रृंगार का अभिन्न अंग है।
जोड़ा- शादी का जोड़ा, जिसमें लहंगा-चोली, साड़ी-ओढ़नी आदि शामिल होते हैं।
गजरा- केश संवारने के साथ ही उनकी सुंदरता बढ़ाने के लिए लगाया जाता है गजरा।
मांग टीक- माथे पर मांग के बीचोंबीच सजा टीका महिला के श्रृंगार में चारचांद लगा देता है।
नथ- नथ पहनने के अपने धार्मिक और पारंपरिक रिवाज हैं। जहां तक धार्मिक विश्वास की बात है तो इसे देवी पार्वती के सम्मान से जोड़कर पहनाया जाता है। कामना की जाती है कि जैसे मां पार्वती को हर पग पर शिवजी का प्रेम और सहयोग मिला, वैसे ही सभी को भी मिले।
कर्ण फूल- कानों का आभूषण हैं कर्णफूल। अब ये कई आकृतियों और डिजाइंस में उपलब्ध हैं।
हार- गले और गर्दन की सुंदरता को बढ़ाकर आकर्षण कई गुना कर देता है हार।
बाजूबंद- कड़े जैसा ये आभूषण शुद्ध धातु जैसे, सोने या चांदी का बना होता है। हालांकि अब आर्टिफिशल बाजूबंद भी पहनने का चलन बढ़ा है।
कडे़ और चूड़ियां- कलाई सजाने के लिए कड़े और चूड़ियां पहने जाते हैं। इनकी खनक घर परिवार की समृद्धि का प्रतीक मानी जाी है।
अंगूठी- अंगूठी प्रेम से अधिक विश्वास का प्रतीक मानी जाती है। तभी तो विवाह से पहले होनेवाले सगाई समारोह में भावी दूल्हा-दुल्हन एक दूसरे के प्रति विश्वास जताते हुए अंगूठी पहनाते हैं।
कमरबंद- अब यह आभूषण कम ही महिलाएं पहनती हैं। हालांकि इसे नवविवाहिता को नए परिवार का हिस्सा बनाने पर पहनाया जाता रहा है।
अरसी और बिछिया- इसे बिछुआ भी कहते हैं। यह खासतौर पर सुहागिनों के लिए होते हैं।
पायल- चांदी की पायल ही सबसे पवित्र मानी जाती हैं। इनकी झनक से घर में आनेवाली नकारात्मकता दूर रहती है।