भाजपा गठबंधन और विपक्ष के सभी 13 उम्मीदवार गुरुवार को विधान परिषद के लिए निर्विरोध निर्वाचित हो गए। प्रमुख सचिव विधानसभा प्रदीप दुबे ने दोपहर तीन बजे नामांकन वापस लेने की समय सीमा समाप्त होते ही सभी उम्मीदवारों को विधान परिषद की सदस्यता प्रमाण पत्र सौंप दिए।
भाजपा गठबंधन के 11 और सपा व बसपा का एक-एक सदस्य उच्च सदन पहुंचे। परिषद में अब भाजपा की संख्या बढ़कर 21 हो गई। पर, उच्च सदन में बहुमत सपा का ही है। भाजपा को परिषद में बहुमत के लिए अभी तीन वर्ष इंतजार करना पड़ेगा।
भाजपा से चुने जाने वालों में डॉ. महेंद्र सिंह, मोहसिन रजा, विजय बहादुर पाठक, अशोक कटारिया, विद्यासागर सोनकर, अशोक धवन, यशवंत सिंह, डॉ. सरोजनी अग्रवाल, बुक्कल नवाब व जयवीर सिंह और अपना दल एस के आशीष सिंह पटेल शामिल है। बसपा के भीमराव अंबेडकर और सपा के नरेश उत्तम परिषद पहुंचे।
पहली बार सदन से बाहर होंगे अखिलेश
बीते 18 वर्षों में पहला मौका होगा जब सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव किसी भी सदन के सदस्य नहीं हैं। परिषद में अखिलेश का कार्यकाल 5 मई को समाप्त हो जाएगा। उन्होंने खुद की जगह प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम को विधान परिषद भेजा। दूसरी सीट पर गठबंधन धर्म निभाते हुए बसपा के भीमराव अंबेडकर को मौका दिया। अखिलेश ने 2000 में पहली बार कन्नौज से लोकसभा उप चुनाव से जीतकर सक्रिय राजनीति में कदम रखा। 2004 में कन्नौज और गाजियाबाद सीट से लोकसभा चुनाव लड़े। उन्होंने दोनों सीटों पर चुनाव जीता, फिर गाजियाबाद सीट छोड़ दी। 2009 में अखिलेश लगातार तीसरी बार कन्नौज से सांसद बने। 2012 में मुख्यमंत्री बनने के बाद सांसदी छोड़ दी। वह 5 मई 2012 को एमएलसी चुने गए।