जिस देश में बेरोजगारों की लंबी फौज हो, वहां यह खबर चौंकाने वाली है कि तीन कर्मचारियों को वेतन बांटने के लिए 42 कर्मचारियों को तैनात किया गया है। यह हाल है उत्तर रेलवे लखनऊ मंडल का। इसका खुलासा तब हुआ जब नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने कैश ऑफिस की ऑडिटिंग की। फरवरी में आई कैग की रिपोर्ट के अनुसार इन 42 कर्मचारियों पर रेलवे 3 वर्षों में 10.79 करोड़ रुपये खर्च कर चुका है।
रिपोर्ट के मुताबिक चारबाग रेलवे स्टेशन पर बने कैश ऑफिस के इन कर्मियों को जो सैलरी दी जा रही है, उसके एवज में काम नहीं लिया जा रहा। यह ऑफिस रेलकर्मियों को नकद वेतन बांटने के लिए बनाया गया था। डिजिटलीकरण के दौर में रेलकर्मियों का वेतन सीधे उनके खाते में जाने लगा तो कैश ऑफिस की आवश्यकता खत्म सी हो गई। कैग ने इस पर आपत्ति जताई है कि डीआरएम कार्यालय ने इन कर्मचारियों को किसी दूसरी जगह तैनात क्यों नहीं किया?
काम नहीं, फिर भी पारिश्रमिक क्यों
कैश ऑफिस के कर्मचारियों को वेतन बांटने के एवज में पारिश्रमिक मिलता है। कैग रिपोर्ट में सवाल उठाया गया है कि जब सैलरी सीधे खाते में जा रही है तो इन कर्मियों को किस बात का पारिश्रमिक दिया जा रहा है।
सिर्फ यही काम बचा
कैश ऑफिस में उत्तर रेलवे लखनऊ मंडल के छोटे स्टेशनों पर टिकटों से होने वाली आमदनी जमा कराई जाती है। इसके लिए कैश को चमड़े की थैलियों में भरकर लोहे के भारी-भरकम बक्से के जरिए ऑफिस भेजा जाता है। कर्मचारी आरपीएफ व पोर्टर की मदद से इस रकम को बैंक में जमा करवाता है। इस काम में कुछ कर्मचारी ही लगते हैं।
बगैर ड्यूटी लिए खर्च कर दिए 10.79 करोड़
2015-16–3,86,64,000 रुपये
2016-17–3,87,10,056 रुपये
जनवरी 2017-18–2,96,75,000 रुपये
डीआरएम बोले- अभी नहीं मिली रिपोर्ट
मामले पर उत्तर रेलवे (लखनऊ मंडल) के डीएमआर सतीश कुमार का कहना है कि कैश ऑफिस को लेकर कैग की तैयार रिपोर्ट अभी मेरे पास नहीं पहुंची है। जरूरत पड़ने पर कैश ऑफिस के कर्मचारियों को अन्यत्र इस्तेमाल किया जाएगा।
वाराणसी स्टेशन पर भी कारगुजारी
लखनऊ की तरह ए-1 श्रेणी के वाराणसी रेलवे स्टेशन पर कैश ऑफिस में तैनात लोगों को बगैर काम के दी जा रही सैलरी पर सवाल उठाए गए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, वाराणसी में तीन रेलकर्मियों का स्टाफ है, जो छह लोगों को सैलरी बांटता है। इसके अतिरिक्त उनसे कोई अन्य काम नहीं लिया जाता है।