चैत्र माह की पूर्णिमा को राम भक्त हनुमान जी की जयंती मनाई जाती है। कलियुग में हनुमान जी ही एकमात्र जीवित देवता हैं। हनुमान जी हमेशा अपने सच्चे भक्तों की मनोकामन पूरी करते हैं। हनुमान जी की कृपा से ही तुलसीदास को भगवान राम के दर्शन हुए थे। हनुमान जी के बारे में कहा जाता है जहां पर भी रामकथा होती है वह पर हनुमानजी किसी ना किसी रूप में मौजूद रहते है। तुलसी दास ने हनुमान चालीसा लिखी थी। हनुमान चालीसा का पाठ करने से मनुष्य की तमाम तरह की परेशानियां दूर हो जाती है।आर्थिक संकट को दूर करने के लिए हनुमान चालीसा का पाठ करने से आर्थिक चिंताएं दूर हो जाती है। हनुमान चालीसा का नियमित पाठ करने वाले व्यक्ति का मनोबल बढ़ जाता है।
भूत पिशाच निकट नहीं आए, महावीर जब नाम सुनावे। इस दोहे का जो व्यक्ति नियमित हनुमान चालीसा का पाठ करता है उसके पास भूत-पिशााच और नकारात्मक शक्तियां नहीं आती।
हनुमान चालीसा के पाठ से मानसिक शांति मिलती है और मन में चल रही उधेड़ बुन से मुक्ति मिलती है जिससे व्यक्ति को अच्छी नींद आती है और जीवन में उन्नति का मौका मिलता है।
नासै रोग हरै सब पीरा। जपत निरन्तर हनुमत बीरा। इस चौपाई का जो व्यक्ति नियमित पाठ करता है वह व्यक्ति बलवान होता है। जो लोग अक्सर बीमार रहते हैं इस चौपाई का पाठ करने से रोग दूर हो जाता है।
हनुमानजी की कृपा पाने के लिए छात्रों को नियमित हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए। छात्र जीवन में चालीसा का पाठ करने से स्मरण शक्ति बढ़ती है और शिक्षा के क्षेत्र में कामयाबी मिलती है। छात्रों को ‘विद्यावान गुनी अति चातुर। राम काज करिबे को आतुर।। का नियमित पाठ करना चाहिए।
अंत काल रघुबरपुर जाई। जहां जन्म हरिभक्त कहाई। और देवता चित्त न धरई। हनुमत् सेई सर्व सुख करई। जो व्यक्ति हनुमान चालीसा का पाठ नियमित करता है उसके परम धाम जाने का रास्ता सरल हो जाता है।