ईरान के विदेश मंत्रालय ने शनिवार (24 मार्च) को अमेरिका द्वारा ईरान के दस नागरिकों तथा एक संगठन पर प्रतिबंध लगाने के कदम की निंदा करते हुए उसे अवैध और भड़काऊ बताया है. वॉशिंगटन ने शुक्रवार (23 मार्च) को ‘इस्लामिक क्रांतिकारी रक्षक दल’ (आईआरजीसी) से संबंधित ईरान के दस व्यक्तियों तथा एक ईरानी कंपनी पर वैश्विक रूप से सैकड़ों विश्वविद्यालयों, निजी कंपनियों तथा सरकारी समितियों की उपयोगी जानकारी चुराने के कारण प्रतिबंध लगा दिया था. समाचार एजेंसी सिन्हुआ ने ईरान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता बहराम कासमी के हवाले से कहा कि अमेरिका के अवैध और भड़काऊ कदम से ईरान के वैज्ञानिक विकास पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा.
उन्होंने कहा कि अमेरिका का यह कदम ईरान के प्रति उसकी शत्रुता प्रदर्शित करता है. अमेरिका की सरकार ने राजस्व विभाग तथा न्याय विभाग से साइबर हमले के संदिग्ध अपराधियों पर दंड लगाया था. साइबर हमले में अमेरिका तथा संयुक्त राष्ट्र की समितियों, विश्वविद्यालयों तथा निजी कंपनियों से 31.5 टेराबाइट संवेदनशील जानकारी चुराई गई थी.
अमेरिकी प्रशासन के अनुसार अमेरिकी अधिकार क्षेत्र में सभी संदिग्ध अपराधियों की सभी संपत्तियों को जब्त कर लिया गया है और उन पर अमेरिका से व्यापार करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. माबना इंस्टीट्यूट पर आईआरजीसी का सहयोग करने लिए प्रतिबंध लगाया गया है जिसने निजी फायदे के लिए उन संस्थानों की गोपनीय जानकारी चुराई थी.
अमेरिका ने शुक्रवार (23 मार्च) को ईरान के 10 लोगों और एक ईरानी संगठन पर पाबंदी लगा दी थी. ये सभी इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (आईआरजीसी) से संबद्ध हैं. इन पर सैंकड़ों विश्वविद्यालयों, निजी कंपनियों और सरकारी संस्थाओं के डेटा चोरी का आरोप है. अमेरिकी सरकार के राजस्व एवं न्याय विभाग ने साइबर हमले के संदिग्धों पर जुर्माना भी लगाया है. इन पर विश्वविद्यालयों, अमेरिकी और संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों और निजी कंपनियों का 31.5 टेराबाइट डेटा चुराने का आरोप है.
एफे की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी प्रशासन के मुताबिक, इन प्रतिबंधों के तहत सभी संदिग्धों की अमेरिकी अधिकार क्षेत्र में आने वाली सभी संपत्तियों को भी फ्रीज कर दिया गया है और किसी भी अमेरिकी नागरिक के साथ किसी भी तरह के कारोबार पर पाबंदी लगा दी गई है.