व्लादिमिर पुतिन 73.9 फीसदी वोटों के साथ चौथी बार रूस के राष्ट्रपति बन गए हैं. करीब 1200 मतदान केंद्रों से आंकड़ों मुताबिक, कम्यूनिस्ट उम्मीदवार पावेल ग्रुडिनिन को 11.2 फीसदी वोटों के साथ दूसरे स्थान पर दिखाया गया है. वीटीएसआईओएम ने एक बयान में कहा कि वोट देने वाले 37 प्रतिशत से ज्यादा लोगों ने यह बताने से इनकार कर दिया कि उन्होंने किसे वोट दिया है.
पुतिन के लिए नए जनादेश को व्यापक वैधानिकता देने के लिए काफी संख्या में वोटों की जरूरत है क्योंकि रूस ब्रिटेन में एक जासूस को जहर दिए जाने को लेकर अलग-थलग पड़ने की स्थिति और नये अमेरिकी प्रतिबंधों का सामना कर रहा है. पुतिन के खिलाफ चुनाव में सात उम्मीदवार खड़े हैं. लेकिन उनके मुख्य प्रतिद्वंद्वी एलेक्जई नवलनी पर कानूनी कारणों को लेकर रोक लगा दी गई है. इसलिए चुनाव नतीजे पुतिन के अनुकूल आने को लेकर कोई शक नहीं है.
करीब 10. 7 करोड़ रूसियों के पास मताधिकार है, लेकिन कुछ विश्लेषकों का कहना है कि राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री दोनों के तौर पर पुतिन के 18 साल के नेतृत्व के बाद मतदाताओं में उनके प्रति उत्साह कम हो सकता है. चुनाव अधिकारियों ने बताया कि दोपहर दो बजे (अंतरराष्ट्रीय समयानुसार) तक करीब 52 प्रतिशत मतदान हुआ.
नवलनी ने आरोप लगाया कि चुनाव में धांधली हुई है. पुतिन ने साल 2000 में पहली बार राष्ट्रपति चुने जाने के बाद से विपक्ष की आवाज को दबा कर, टेलीविजन पर सरकारी नियंत्रण कर और विदेशों में रूस के दर्जे को दोबारा स्थापित कर दुनिया के सबसे बड़े देश पर अपना पूरा अधिकार कायम कर रखा है. 65 वर्षीय पूर्व केजीबी अधिकारी ने चुनाव प्रचार में रूस के विश्व के एक बड़ी शक्ति होने पर जोर दिया. उन्होंने चुनाव पूर्व भाषण मेंरूस के ‘‘ अपराजेय’’ नए परमाणु हथियारों को लेकर शेखी बघारी.
वहीं, नवलनी ने मतदान का बहिष्कार करने का अनुरोध किया. अवैध प्रदर्शन करने को लेकर उन्हें 30 दिनों की जेल की सजा हो सकती है.
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