1200 साल पुराना है इस 250 टन के रहस्यमयी पत्थर का राज, बिना किसी सपोर्ट के कैसे टिका है ढलान पर?

1200 साल पुराना है इस 250 टन के रहस्यमयी पत्थर का राज, बिना किसी सपोर्ट के कैसे टिका है ढलान पर?

ढलान पर पत्थर: यह दुनिया आश्चर्यों से भरी हुई है। यहाँ पर ऐसे-ऐसे कारनामे होते हैं हैं, जिसके बारे में आप सोच भी नहीं सकते हैं। यहाँ कुछ ऐसे रहस्य भी हैं, जिनके बारे में आजतक कोई नहीं जान पाया है। आज हम आपको एक ऐसे ही रहस्य के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसके बारे में जानने के बाद आपकी हैरानी का ठिकाना नहीं रहेगा। आपों सोच में पड़ जाएँगे कि आख़िर ऐसा कैसे हो सकता है? आप तो जानते ही हैं कि भारत बहुत बड़ा देश है। यह कई हिस्सों में बँटा हुआ है।1200 साल पुराना है इस 250 टन के रहस्यमयी पत्थर का राज, बिना किसी सपोर्ट के कैसे टिका है ढलान पर?

लोगों के लिए बना हुआ है आकर्षण का केंद्र:

दक्षिण भारत भी उसी में से एक हिस्सा है। दक्षिण भारत में एक शहर है महाबलीपुरम, इसे मामल्लपुरम के नाम से भी जाना जाता है। यह तमिलनाडु राज्य का बहुत पुराना नगर है। महाबलीपुरम में कई ऐसी प्राचीन जगहें हैं जो भारतीय पर्यटकों के साथ ही विदेशी पर्यटकों को भी अपनी तरफ़ आकर्षित करती है। महाबलीपुरम के स्मारकों को यूनेस्को के विश्व विरासत स्थलों में शामिल किया गया है। इन्ही में से एक बहुत ही विशाल और प्राचीन पत्थर है जो अपने आप में एक रहस्य है। यह पत्थर लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र है।

सैकड़ों सालों से टिका हुआ है ढलान पर पत्थर:

इस पत्थर के बारे में कहा जाता है कि यह लगभग 1200 साल पुराना है। इसे श्रीकृष्ण की माखन की गेंद भी कहा जाता है। महाबलीपुरम का यह अद्भुत पत्थर लगभग 20 फ़ीट ऊँचा है। यह पत्थर ढलान पर लगभग 4 फ़ीट के आधार पर स्थिर टिका हुआ है। यह पत्थर ना ही हिलता है और ना ही लुढ़कता है। इस पत्थर का वज़न लगभग 250 टन है। इतना विशाल और वज़नी पत्थर होने के बाद भी यह कैसे सैकड़ों सालों से एक ढलान पर टिका हुआ है, यह किसी रहस्य से काम नहीं है। इस पत्थर को जो भी देखता है देखकर हैरान हो जाता है।

आज भी बना हुआ है लोगों के लिए रहस्य:

ढलान पर पत्थर के बारे में यह प्राचीन मान्यता है कि यहाँ पर बाल्यावस्था में भगवान श्रीकृष्ण ने थोड़ा सा माखन गिरा दिया था। वही माखन अब पत्थर बन चुका है। यही वजह है कि इस पत्थर को श्रीकृष्ण के माखन की गेंद भी कहा जाता है। इस पत्थर के बारे में अब तक यह राज नहीं खुल पाया है कि इसे किसी इंसान के द्वारा खड़ा किया गया है या प्रकृति द्वारा। पत्थर का रहस्य आज भी बना हुआ है। 7वीं शताब्दी में पल्लव वंश के शासन काल में महाबलीपुरम में कई स्मारक बनाए गए थे। आज यही स्मारक पर्यटकों को अपनी तरफ़ आकर्षित करते हैं।

स्मारकों के समूह को कहते हैं महाबलीपुरम स्मारक:

महाबलीपुरम के स्मारकों को चार भागों में बाँटा गया है। ये श्रेणिया रथ मंडप, गुफा मंदिर, संरचनात्मक मंदिर और रॉक है। स्मारकों के इस समूह को महाबलीपुरम स्मारक ने नाम से जाना जाता है। यहाँ पर प्राचीनकाल की वास्तुकला को देखा जा सकता है। महाबलीपुरम चेन्नई से लगभग 60 किमी की दूरी पर स्थित है। महाबलीपुरम जाने वाले हवाईमार्ग और रेलमार्ग दोनो तरह से जा सकते हैं। पहले आपको चेन्नई जाना होगा, फिर वाहन से बस या कार द्वारा महाबलीपुरम जाना होगा।

 

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