छत्तीसगढ़ के झीरम घाटी नक्सली हमला मामले में नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (एनआईए) ने अंतिम चालान पेश किया लेकिन इसमें दो बड़े नक्सली नेताओं का नाम नहीं है। इस बहुचर्चित हमले के चार साल पूरे होने के बाद भी आरोपी नक्सलियों की गिरफ्तारी नहीं हो पाई है। इस हमले में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष समेत 27 लोगों की मौत हो गई थी और 35 लोगों घायल हुए थे।
वह तारीख थी 25 मई 2013 जब झीरम घाटी में नक्सलियों ने कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा पर हमला कर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष नंदकुमार पटेल, वरिष्ठ नेता विद्या चरण शुक्ल, महेंद्र कर्मा समेत सुरक्षा में लगे पुलिस कर्मियों सहित 27 लोगों की हत्या कर दी थी। इस वारदात को अंजाम देने के साथ ही नक्सलियों ने मौके से हथियार लूट लिए थे। राज्य सरकार ने घटना की जांच एनआईए को सौंप दी थी।
एनआईए ने अपनी तफ्तीश के बाद वारदात में शामिल 9 नक्सलियों को गिरफ्तार किया। 21 मार्च 2014 को एनआईए की स्पेशल कोर्ट में फरार नक्सलियों के नाम की सूची पेश की थी और कहा था कि फरार आरोपियों को गिरफ्तारी करने की कोशिशें जारी है।
इस सूची में बड़े नक्सली नेता मुपाला लक्ष्मण राव उर्फ गणपति उर्फ रमन्ना उर्फ श्रीनिवास उर्फ दयानंद उर्फ गुडसे दादा पिता गोपाल राव निवासी वेल्हमा वीरपुर जिला करीमनगर आंध्रप्रदेश, रवुला श्रीनिवास उर्फ रमन्ना उर्फ संतोष कुंता रमाना उर्फ श्रीनु उर्फ नरेन्द्र पिता रामलिंगम निवासी बेक्कल मंडल मद्दूर जिला वारंगल आंध्रप्रदेश सहित 26 नक्सलियों के नाम दर्ज थे।
एनआईए ने 2015 में मामले में आखिरी चालान पेश किया था। इस चालान में नक्सली संगठन के सचिव मुपाला लक्ष्मण राव और पीएलजीए के मुख्य कमांडर रवुला श्रीनिवास उर्फ रमन्ना का नाम हटा दिया गया है। दूसरी ओर इस मामले में स्थानीय स्तर के सिर्फ 9 नक्सलियों की गिरफ्तारी हुई है। बाकी नक्सली अभी भी फरार हैं।
शुरुआती चालान में वारदात में आंध्रप्रदेश के 7 नक्सली नेताओं के शामिल होने की बात कही गई थी। शेष नक्सली बस्तर के ही रहने वाले हैं। एनआईए की जांच में साजिश और नक्सलियों द्वारा कांग्रेस नेताओं की हत्या की वजहों के बारे में कुछ स्पष्ट नहीं लिखा गया है।