बैंक ने रोटोमैक मामले को 2 सालों तक दबाकर रखा, नीरव मोदी के घोटाले के बाद खुली नींद

बैंक ने रोटोमैक मामले को 2 सालों तक दबाकर रखा, नीरव मोदी के घोटाले के बाद खुली नींद

रोटोमैक पेन बनाने वाली कंपनी के मालिक विक्रम कोठारी पर बैंक के साथ धोखाधड़ी का मामला सामने आया है। बैंक ऑफ बड़ौदा के द्वारा विक्रम कोठारी को दिए गए लोन को अक्टूबर 2015 में ही ‘नॉन परफॉर्मिंग असेट’ घोषित कर दिया गया था। दिसंबर 2017 को इस लोन को ‘फ्रॉड’ की श्रेणी में भी डाल दिया गया था। लेकिन मामला एजेंसियों के पास रविवार को पहुंचा जब नीरव मोदी का घोटाला उजागर हुआ। बैंक को डर लगने लगा कि कहीं नीरव मोदी की तरह विक्रम कोठारी भी देश न छोड़ दें। बैंक ने रोटोमैक मामले को 2 सालों तक दबाकर रखा, नीरव मोदी के घोटाले के बाद खुली नींद

 

2015 में हुए मामले को पब्लिक सेक्टर बैंक मे दो सालों तक ठंडे बस्ते में रखा।  साल 2015 में भारत से हॉन्ग कॉन्ग रकम ट्रांसफर की गई थी, जिनमें काजू और चावल खरीदने की बात कही गई थी लेकिन वास्तविकता में कुछ भी खरीदा नहीं गया बल्कि विभिन्न कंपनियों के 59 खातों में पैसे भेजे गए थे। 

बैंक ऑफ बड़ौदा का मामला पहली बार 2015 में आया। सीबीआई ने बैंक के असिस्टेंट मैनेजर एस के गर्क को गिरफ्तार किया था। बैंक ने विक्रम कोठारी के खिलाफ कार्रवाई करने में देरी की। नीरव मोदी के मामले के उजागर होने के बाद बैंक प्रशासन की नींद खुली और उन्होंने विक्रम कोठारी के परिवार का पासपोर्ट जब्त करने की सफिरिश की। 

सीबीआई ने मामले में कोठारी के खिलाफ FIR रजिस्टर्ड की और पूछताछ की। वहीं बैंक ने अपने कर्मचारियों के खिलाफ भी जांच पड़ताल शुरू कर दी है। आपको बता दें कि मंगलवार को इनकम टैक्स विभाग ने कोठारी परिवार के 14 खातों को अटैच किया है। 

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