जीएसटी प्रणाली में एक फरवरी 2018 से देशभर में लागू ई-वे बिल सिस्टम का पहले ही दिन बुरा हाल हो गया।
बिल जनरेट करने के लिए ओवरलोड के चलते वेबसाइट क्रैश हो गई। इस कारण दोपहर बाद व्यापारी माल ट्रांसपोर्ट करने के लिए ऑनलाइन बिल नहीं बना पाए। वेबसाइट काम न करने पर राज्य कर विभाग ने व्यापारियों को राहत दी है। विभाग की ओर से 10 दिन के लिए राज्य के भीतर ई-वे बिल में छूट देने की अधिसूचना जारी की गई।
वस्तु एवं सेवा कर प्रणाली में एक फरवरी से उत्तराखंड समेत सभी राज्यों में ई-वे बिल लागू किया गया। ऑनलाइन इलेक्ट्रॉनिक पोर्टल पर बिल जनरेट करने के लिए लोड बढ़ने से दोपहर दो बजे ई-वे बिल की वेबसाइट क्रैश हो गई। इस वजह से व्यापारियों को बिल बनाने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा।
व्यापारियों की दिक्कतों को देखते हुए राज्य कर विभाग ने उत्तराखंड के भीतर ही माल को ट्रांसपोर्ट करने को ई-वे बिल में 10 दिनों की मोहलत दी है। आयुक्त राज्य कर सौजन्या की ओर से जारी अधिसूचना के मुताबिक राज्य के अंदर किसी भी स्थान पर माल ट्रांसपोर्ट करने के लिए 10 दिन तक ई-वे बिल की अनिवार्यता नहीं रहेगी। ई-वे बिल के नाम पर किसी प्रकार की सख्ती नहीं की जाएगी।
एक फरवरी से देशभर में ई-वे बिल की व्यवस्था लागू की गई, लेकिन बिल बनाने के लिए केंद्र का इलेक्ट्रॉनिक पोर्टल सुचारु रूप से काम नहीं कर रहा है। व्यापारियों की दिक्कतों को देखते हुए ई-वे बिल में 10 दिन की छूट देने के आदेश जारी किए गए। जब तक पोर्टल शुरू नहीं होता है तब तक विभाग का कोई भी अधिकारी ई-वे बिल को लेकर व्यापारियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करेगा।
बृहस्पतिवार को करीब 19 हजार का माल भेजना था, लेकिन दो बजे से ई-वे बिल की वेबसाइट काम नहीं कर रही है। ट्रांसपोर्टरों की ओर से एक हजार रुपये का माल ले जाने के लिए ई-वे बिल मांगा जा रहा है। ऐसे में व्यापारियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।