लोकसभा चुनाव के पहले चरण के लिए मतदान 11 अप्रैल को होगा. पहले चरण में देश के 20 राज्यों में 91 सीटों पर मतदान किया जाएगा. प्रचार अभी चरम पर है. राजनीतिक पार्टियां और उम्मीदवार वोटरों को लुभाने की हर संभव कोशिश में लगे हुए हैं. इस काम में सोशल मीडिया और मीडिया एनालिस्टों का महत्वपूर्ण योगदान होता है. वर्तमान में जिन्हें चुनावी चाणक्य कहते हैं वे सोशल मीडिया के जरिए ही अपने क्लाइंट (उम्मीदवार) का प्रचार करते हैं और उनके पक्ष में सकारात्मक माहौल बनाते हैं.
भारत में 43 करोड़ स्मार्टफोन यूजर्स हैं
देश में अभी करीब 87000 WhatsApp ग्रुप हैं जो वोटरों को लुभाने का काम करते हैं. इन ग्रुप के जरिए लाखों वोटरों तक विशेष और सुनियोजित तरीके से खास मकसद को ध्यान में रखकर तैयार किए गए संवाद को भेजा जा रहा है. राजनेताओं और राजनीतिक पार्टियों को लेकर लोगों की आम धारणा बदलने की कोशिश की जा रही है. फरवरी 2017 की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में करीब 20 करोड़ व्हाट्सएप के एक्टिव यूजर्स हैं. दो सालों से इनकी संख्या को लेकर लिस्ट नहीं जारी की गई है. वर्तमान में करीब 43 करोड़ स्मार्टफोन यूजर्स हैं. जिनके पास स्मार्टफोन है, उम्मीद की जाती है कि वे व्हॉट्सएप का इस्तेमाल करते होंगे. ऐसे में अगर इनका कुछ हिस्सा भी प्रभावित हो जाते हैं तो राजनीतिक दलों की बल्ले-बल्ले है.
डाटा क्रांति से काम हुआ आसान
व्हॉट्सएप एक ऐसा प्लेटफॉर्म है जिसकी मदद से फेक न्यूज फैलाना बहुत आसान है. आपके ग्रुप में जो मैसेज आता है उसकी जांच करने वाला कोई नहीं है. अगर आप किसी राजनीतिक दल से प्रभावित हैं तो उसके पक्ष में जो कुछ मैसेज आता है उसे आप दूसरों को फॉरवर्ड कर देते हैं और गलत तथ्य को भी सही मानते हैं. गलत तथ्यों के आधार पर अपनी राय बनाते हैं और दूसरों की राय को प्रभावित भी करते हैं. यही काम फेसबुक और ट्विटर के जरिए किया जा रहा है. रिलायंस जियो की वजह से भारत में डिजिटल क्रांति आ गई है. डाटा इतनी सस्ती हो गई है कि हर कोई इसका धड़ल्ले से इस्तेमाल कर रहा है. वीडियो, फेसबुक लाइव और न्यूज चैनल पर होने वाले डिबेट शो के जरिए लोगों की आम धारणा मजबूत हो जाती है.
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एक ग्रुप में 256 यूजर्स हो सकते हैं
एक व्हॉट्सग्रुप में अधिकतम 256 यूजर्स हो सकते हैं. ऐसे में 87000 ग्रुप के जरिए 2.2 करोड़ लोगों तो सीधी पहुंच हो जाती है. आप एक ग्रुप से किसी मैसेज को अधिकतम पांच लोगों को फॉरवर्ड कर सकते हैं. इस तरह 11 करोड़ लोगों तक मैसेज को आसानी से पहुंचाया जा सकता है. कुल मिलाकर स्वस्थ लोकतंत्र के लिए यह अच्छे संकेत नहीं है. ऐसे में समझदार और जिम्मेदार नागरिक होने के चलते व्हॉट्सएप पर आए मैसेज की सत्यता की जांच जरूर करें. फेक न्यूज से बचें और अन्य लोगों को भी बचाने का काम करें. मताधिकार का प्रयोग करें और बेहतर भारत के निर्माण में अपना योगदान दें.