ब्रह्मांड में आज 800 वर्षों के बाद एक अनोखी घटना होने वाली है। आज ब्रहस्पति और शनि ग्रह सबसे करीब आने वाले हैं। वैज्ञानिकों के लिए और हम सभी के लिए ये बेहद दुर्लभ घटना है। ऐसा इसलिए क्योंकि अगली बार इस घटना को देखने के लिए हम शायद जीवित ही न बचें। आज इन दो ग्रहों के बीच 73.5 किलोमीटर की दूरी होगी। वैज्ञानिक इस तरह की घटना को ग्रेट कंजेक्शन का नाम देते हैं। आज ब्रह्मांड में घटित होने वाली घटना को असमान में साफ देखा जा सकेगा। आपको को बता दें कि ब्रहस्पति और शनि ग्रह दोनों ही ब्रह्मांड के बेहद खास ग्रह हैं। इन दोनों की कई ऐसी खासियत हैं जिनके बारे में जानकर आप हैरत में पड़ सकते हैं। इन दोनों ग्रहों के बारे में ऐसी ही कुछ रोचक जानकारी हम आपको यहां पर दे रहे हैं।

ब्रहस्पति की कुछ अनोखी बातें
हम सभी जानते हैं कि बृहस्पति जिसको इंग्लिश में Jupiter कहते हैं सूर्य से 5वां ग्रह है। यह हमारे सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह भी है। इस ग्रह को रात में नंगी आंखों से देखा जा सकता है। ये ग्रह मुख्य रूप से हीलियम और हाइड्रोजन गैस से मिलकर बना है। आपको बता दें कि ब्रह्मांड में चांद ओर शुक्र के बाद सबसे चमकीला ग्रह यदि कोई है तो वो ब्रहस्पति ही है। ब्रहस्पति ग्रह अपने ऊपर पड़ी रंग बिरंगी पट्टियों के लिए भी जाना जाता है, जो इसपर मौजूद अलग-अलग वातावरण को दर्शाती हैं।
ब्रहस्पति का ग्रेट रेड स्पॉट
ब्रहस्पति ग्रह एक और चीज के लिए जाना जाता है और वो है इस पर मौजूद लाल धब्बा जिसको ग्रेट रेड स्पॉट भी कहा जा सकता है। 17वीं सदी में इसका पता ब्रहस्पति पर मौजूद एक विशाल चक्रवाती तूफान के तौर पर लगाया गया था। ये धरती पर आने वाले चक्रवाती तूफान से कहीं ज्यादा बड़ा है। इसका पता पहली बार 1665 में चला था । आपको जानकर हैरत होगी कि ब्रहस्पति ग्रह के अब तक ज्ञात एक या दो नहीं बल्कि 79 चंद्रमा हैं। इनमें से चार बेहद बड़े हैं जिन्हें गेलीलियन चंद्रमा भी कहा जाता है। इन्हें सबसे पहले गैलीलियो ने खोजा था। इस ग्रह का सबसे बड़ा चंद्र गैनिमीड बुध ग्रह से भी बड़ा है।
छोटा सा काला धब्बा
वर्ष 2007 में इस ग्रह की तस्वीरें नासा के यान न्यू होराइजन ने उतारी थीं। इससे पहले पायोनियन, वॉयजर और गैलिलियो यान ने भी इसकी जानकारी दी थी। इस ग्रह पर एक छोटा सा काला धब्बा दिखाई देता है। ये धब्बा दरअसल, इसका एक चंद्रमा है जिसका नाम यूरोपा है। ये हमेशा से ही वैज्ञानिकों के लिए कौतुहल का विषय बना रहा है। ब्रहस्पति पर हाइड्रोजन और हीलियम की अधिकता की वजह से वहां पर तूफानों का आना काफी आम बात माना जाता है। इस पर सफेद और भूरे रंग के कई धब्बे मौजूद हैं जो यहां के बादलों से मिलकर बनें है। ये ठंडे और और गर्म बादलों को दर्शाते हैं।
सूर्य से 77 करोड़ 40 लाख किमी है दूरी
आपको यहां पर ये भी बता दें कि सूर्य से बृहस्पति की दूरी करीब 77 करोड़ 40 लाख किमी है। ये ग्रह 11.6 वर्षों में सूरज का एक चक्कर लगाता है। आपको जानकर हैरत होगी कि जितने वर्षों में ब्रहस्पति सूर्य के पांच चक्कर लगाता है उतने वर्षों में शनि ग्रह केवल दो ही चक्कर लगा पाता है। अपनी धुरी पर घुमने वाला ब्रहस्पति ब्रह्मांड का सबसे तेज ग्रह है। ये महज दस घंटों में अपना एक चक्कर पूरा कर लेता है।
शनि के बारे में कुछ रोचक तथ्य
हमारे सौरमंडल में शनि, बृहस्पति के बाद शनि सबसे बड़ा ग्रह हैं। पृथ्वी की तुलना में ये ग्रह करीब नौ गुना बड़ा है। ब्रहस्पति जहां गैसों से बना है वहीं शनि का निर्माण लोहा, निकल, सिलिकॉन और ऑक्सीजन यौगिक चट्टानों से हुआ है। इसके अलावा इस पर बाहर की तरफ हाइड्रोजन ओर हीलियम गैस मौजूद है। अमनोनिया क्रिस्टल के कारण इसमें हल्का पीला रंग भी दिखाई देता है।
1800 किमी/घंटा की रफ्तार से आता है तूफान
आपको जानकर हैरत होगी कि इस पर 1800 किमी/घंटा (1100 मील) की रफ्तार से तेज हवाएं चलती रहती हैं। पृथ्वी पर आने वाले भयंकर से भयंकर चक्रवाती तूफान में भी इतनी तेज हवाएं नहीं चलती हैं। इस ग्रह के भी ब्रहस्पति की तरह 62 चंद्रमा हैं जिनमें से सबसे बड़े चंद्रमा का नाम टाइटन है। ये सौरमंडल का दूसरा सबसे बड़ा चंद्रमा भी है। आकार में ये बुध ग्रह से कहीं अधिक बड़ा है। शनि ग्रह अपने चारों तरफ मौजूद रिंग के लिए भी जाना जाता है।
सूरज से 1.4 अरब किलोमीटर से भी अधिक है ये ग्रह
सूर्य से इस ग्रह की दूरी की बात करें तो ये करीब 1.4 अरब किलोमीटर से भी अधिक है। यही वजह है कि ये ग्रह सूर्य का एक चक्कर 29 वर्ष 6 माह में लगा पाता है, जो धरती पर बिताए जाने वाले 10,759 दिन के बराबर है। अपनी धुरी पर ये ग्रह 10 घंटे 39 मिनट 22.4 सेकेंड में एक चक्कर पूरा करता है। नासा के कैसिनी यान ने इस ग्रह के बारे में कई रहस्यमय जानकारियां वैज्ञानिकों को उपलब्ध करवाई थीं। शनि के भीतरी भाग का तापमान करीब 11,700 डिग्री सेल्सियस तक हो जाता है। शनि सूरज से जितनी ऊर्जा लेता है उससे करीब ढाई गुना अधिक अंतरिक्ष में छोड़ देता है।
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