799 करोड़ का प्रोजेक्ट, 1500 करोड़ का भुगतान, याचिका पर हाईकोर्ट ने मांगी नर्मदा नहर की स्टेटस रिपोर्ट

जबलपुर हाईकोर्ट में दिव्यांशु मिश्रा की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता वरुण तंखा ने बताया कि जनहित याचिका पर चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और विनय सराफ की बेंच ने शासन को 4 हफ्ते के भीतर स्टेटस रिपोर्ट प्रस्तुत करने के आदेश दिए हैं। मामले की अगली सुनवाई 18 अक्टूबर को होगी।

मध्य प्रदेश का वह प्रोजेक्ट जिसे बीजेपी सरकार ने वर्ष 2008 में कटनी, मैहर, सतना सहित रीवा के लोगों को पेयजल और सिंचाई की समस्या से निजात दिलाने के लिए शुरू किया था, अब खुद एक बड़ी समस्या बन गया है।

40 महीने में तैयार होने वाला यह प्रोजेक्ट 13 साल अतिरिक्त बीतने के बाद भी अधूरा पड़ा है। इस प्रोजेक्ट में करोड़ों के भ्रष्टाचार के आरोप हैं, जिसके खिलाफ कटनी के युवा नेता और समाजसेवी दिव्यांशु मिश्रा ने जबलपुर हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है। याचिका में उन्होंने बताया है कि किस प्रकार नेता और अधिकारी मिलकर 799 करोड़ के प्रोजेक्ट पर लगभग 1500 करोड़ का भुगतान कर चुके हैं।

बरगी व्यपवर्तन परियोजना की नर्मदा दायीं तट नहर, जिसमें 12 किलोमीटर टनल और 13 किलोमीटर ओपन नहर बनाने का प्रोजेक्ट शामिल है, हैदराबाद की पटेल इंजीनियरिंग-एस ई डबल्यू (संयुक्त उपक्रम) को 26 मार्च 2008 को विभागीय अनुबंधों के तहत सौंपा गया था। इसके लिए शासन ने 40 महीने की समयसीमा तय की थी, जो 25 जुलाई 2011 में समाप्त हो गई। लेकिन अधिकारियों ने इसकी समयावधि 6 बार बढ़ाते हुए 2024 तक कर दी। न केवल समयावधि बढ़ाई गई, बल्कि परियोजना की लागत जो 799 करोड़ थी, उसे बढ़ाकर लगभग 1500 करोड़ कर दिया गया है। दिव्यांशु मिश्रा ने बताया कि टर्नकी टेंडर के अनुबंध में धांधली करते हुए अधिकारियों ने सर्वे, ग्राउटिंग, डी-वाटरिंग और सॉफ्ट निर्माण के नाम पर 90 करोड़ से अधिक का घोटाला किया है।

दिव्यांशु मिश्रा ने बताया कि मूल अनुबंध में शामिल होने के बावजूद ग्राउटिंग कार्य के लिए अलग से टेंडर करते हुए 13 करोड़ 23 लाख का भुगतान एक इंदौर की कंपनी को किया गया है। हाल ही में, 5 जुलाई 2024 को विभाग द्वारा 4 करोड़ 80 लाख का गैर-जरूरी टेंडर जारी किया गया, ऐसे कार्यों के चलते शासन को लगभग 90 करोड़ का नुकसान हुआ है। आपको बता दें कि पूर्व में भी यह मामला विधानसभा में उठाया गया था, जिस पर मुख्यमंत्री ने बताया था कि ठेकेदार को 1450 करोड़ का भुगतान पूर्व में किया जा चुका है। इसके अलावा, इस प्रोजेक्ट से जुड़े अन्य टेंडरों के तहत कई करोड़ रुपए अतिरिक्त दिए गए हैं।

जबलपुर हाईकोर्ट में दिव्यांशु मिश्रा की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता वरुण तंखा ने बताया कि जनहित याचिका पर चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और विनय सराफ की बेंच ने शासन को 4 हफ्ते के भीतर स्टेटस रिपोर्ट प्रस्तुत करने के आदेश दिए हैं। मामले की अगली सुनवाई 18 अक्टूबर को निर्धारित की गई है।

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