भारत में बैंक एफडी यानी फिक्स डिपॉजिट निवेश का एक लोकप्रिय और पसंदीदा माध्यम है। क्योंकि, इसमें तय ब्याज और पैसों की सुरक्षा दोनों रहती है. आमतौर पर लोग साल, 1 साल से लेकर 10 वर्ष तक के लिए बैंक एफडी कराते हैं। लेकिन, क्या आप जानते हैं बैंक एफडी की न्यूनतम अवधि सात दिन है और अब भारतीय रिजर्व बैंक 7 दिन से भी कम अवधि की एफडी लाने पर विचार कर रहा है. इस बारे में आरबीआई ने बैंकों से सुझाव मांगे है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस मामले की जानकारी रखने वाले लोगों ने भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने 7 दिन से कम अवधि की ‘टर्म डिपॉजिट’ को लेकर बैंकों से सुझाव मांगे हैं।
फिक्सड डिपॉजिट के संबंध में आरबीआई यह बदलाव की बात ऐसे समय में कर रहा है जब बैंकों की डिपॉजिट ग्रोथ को लेकर चिंता जताई जा रही है. दरअसल, 02 मई, 2025 तक सालाना आधार पर बैंकों की डिपॉजिट ग्रोथ 10% तक धीमी हो गई, जबकि एक साल पहले यह 13% थी।
2004 में हुआ था एफडी की अवधि में बदलाव
बैंक एफडी की अवधि में एक अहम बदलाव आरबीआई ने साल 2004 में किया था जब रिजर्व बैंक ने टर्म डिपॉजिट की न्यूनतम अवधि को 7 दिन कर दिया था। इससे पहले यह अवधि 15 दिन थी. उधर, इस मामले से वाकिफ लोगों ने कहा कि टर्म डिपॉजिट को लेकर बैंक अपने सुझाव आरबीआई को जल्द सौंप सकते हैं। एक सीनियर बैंक अधिकारी ने बताया कि पिछले महीने इस मुद्दे पर रिजर्व बैंक ने एसबीआई और पंजाब नेशनल बैंक समेत अन्य प्राइवेट बैंकों के साथ बैठक की थी।
बैंकों का समर्थन भी, ऐतराज भी
बैंक अधिकारी ने कहा कि आरबीआई के इस कदम से बैंकों को एफडी की अवधि अपने हिसाब से तय करने की छूट मिलेगी और इससे फिक्स्ड डिपॉजिट को और बढ़ावा मिल सकता है, साथ ही एफडी की संख्या बढ़ने से बैंकों की लिक्विडिटी में और बढ़ोतरी होगी। हालांकि, कुछ बैंकों ने 7 दिन से कम अवधि की बैंक एफडी के प्रस्ताव पर ऐतराज भी जताया है।