इस बार भी उम्मीद की जा रही है कि शार्दुल सीएसके के लिए जरूर कोई धमाका करेंगे और एक बार फिर अपनी टीम को चैंपियन बनाएंगे। कुछ साल पहले तक मुंबई का यह गुमनाम क्रिकेटर कामयाबी की चमक से कोसों दूर था। आइए जानते हैं इनसे जुड़ी 10 खास बातें…
शार्दुल ठाकुर का जन्म 16 अक्टूबर 1991 को महाराष्ट्र के पालघर में हुआ था। उनके पिता का नाम नरेंद्र है और वो नारियल का उद्योग करते है। स्कूल में क्रिकेट खेलते वक्त शार्दुल ने छह गेंदों में 6 छक्के लगाए थे।
शार्दुल ने बड़ी मुसीबतों के साथ क्रिकेट खेला है। वह क्रिकेट खेलने के लिए पालघर से रोजाना मुंबई की लोकल ट्रेन में लटककर जाते थे। सुबल 7.30 बजे मैदान पर पहुंचने के लिए उन्हें रोजाना सुबह 3.30 बजे उठना पड़ता था और चार बजे की लोकल ट्रेन पकड़नी होती थी।
क्रिकेट में जरा सी चमक मिलने के बाद यह तेज गेंदबाज ‘पालघर एक्सप्रेस’ के नाम से लोकप्रिय हो गया। बता दें कि पिछले साल दिसबंर में टीम इंडिया के लिए खेलने के बाद जब वह मुंबई की उसी लोकल ट्रेन से घर के लिए रवाना हो रहे थे, तब इस खिलाड़ी को किसी ने नहीं पहचाना था।
रोहित शर्मा की कप्तानी में साल 2012-13 की रणजी ट्रॉफी में उन्होंने 6 मैचों में 26.25 की औसत से 27 विकेट लिए, जिनमें उनके एक ही मैच के 5 विकेट भी शामिल हैं।
आईपीएल में किंग्स इलेवन पंजाब ने उन्हें पहली बार साल 2014 में 20 लाख रुपये के बेस प्राइस में खरीदा था। उन्होंने पहले मैच में दिल्ली डेयरडेविल्स के खिलाफ चार ओवर में 38 रन देकर एक विकेट लिया था।
शार्दुल किंग्स इलेवन पंजाब के अलावा राइजिंग पुणे सुपरजाइंट्स के लिए भी खेल चुके हैं। इस सीजन में वह चेन्नई सुपरकिंग्स की तरफ से गेंदबाजी की कमान संभाल रहे हैं।
2016 में वेस्टइंडीज के टेस्ट दौरे के लिए शार्दुल ठाकुर का नाम भारतीय टीम में शामिल किया गया, लेकिन उन्हें खेलने का मौका ही नहीं मिला। अगस्त 2017 में भी श्रीलंका के विरुद्ध मैच खेलने के लिए उन्हें भारतीय टीम में शामिल किया गया था।
शार्दुल ठाकुर दूसरे ऐसे खिलाड़ी हैं जिन्होंने सचिन तेंदुलकर के बाद 10 नंबर की जर्सी पहनी। हालांकि इस वजह से उन्हें फैंस की तीखी आलोचनाओं का शिकार भी होना पड़ा था।
इस विवाद के बाद में तुरंत ही उन्होंने 10 नंबर वाली जर्सी बदल दी। 2017 में न्यूजीलैंड के खिलाफ खेले गए वनडे में वह 54 नंबर की जर्सी पहनकर खेलते हुए नजर आए थे।