54 की उम्र में श्रीदेवी को कार्डियक अरेस्ट, बच सकती थी जान, अगर अपनाया होता यह तरीका

54 की उम्र में श्रीदेवी को कार्डियक अरेस्ट, बच सकती थी जान, अगर अपनाया होता यह तरीका

54 साल की उम्र में लाखों करोड़ों चाहने वालों को सदमा देकर जाने वाली मश्हूर अभिनेत्री श्रीदेवी को बचाया जा सकता था, अगर वक्त रहते उनको मदद मिल जाती। डाक्टरों का मानना है कि इतनी उम्र में कार्डियक अरेस्ट आना बहुत ही कम देखने को मिला। 54 की उम्र में श्रीदेवी को कार्डियक अरेस्ट, बच सकती थी जान, अगर अपनाया होता यह तरीका

कार्डियक अरेस्ट और हार्ट अटैक में अंतर

IPAS डेवलपमेंट फाउंडेशन में वरिष्ठ स्वास्थ्य निदेशक डॉ. छाया तिवारी ने को बताया कि कार्डियक अरेस्ट और हार्ट अटैक में काफी अंतर होता है। कार्डियक अरेस्ट आने पर भी किसी मरीज को बचाया जा सकता है।

हालांकि यह इस पर निर्भर है कि कार्डिक अरेस्ट कितना तेज आया है। अगर यह ज्यादा तेज है तो मरीज के बचने के चांस काफी कम होते हैं। लेकिन अगर तुरंत सीपीआर मिलता है तो फिर मरीज को बचाया जा सकता है।  

CPR क्या है ?

CPR का मतलब Cardiopulmonary Resuscitation  (रिससिएशन कार्डियोपल्मोनरी ) यह एक प्राथमिक चिकित्सा है।  जब कोई सांस लेने में असमर्थ हो जाए , बेहोश जो जाए या कार्डियक अरेस्ट आ जाए तब सबसे पहले और समय पर सीपीआर से ही आप किसी की भी जान बचा सकते है। इसे संजीवनी क्रिया भी कहते है। जब कभी किसे बिजली का झटका लग जाए , दम घुटने पर , या पानी में डूबने पर , कई बार हमें CPR से मदत मिल सकती है। 
सबसे पहले क्या करे ?

  1. यदि मरीज को दिल का दौर पड़ा है तो आप घबराए नहीं और पूरा धैर्य रखे।
  2. सबसे पहले अस्पताल को सूचित करें की आप हार्ट अटैक के मरीज को लेकर आने वाले है।
  3. मरीज को आराम से बिठाये और उसे  रिलेक्स  करें।
  4. मरीज के कपड़ों को ढीला कर दे।
  5. अगर मरीज को पहले से ही दिल की बीमारी की समस्या है और वो कोई दवाएं लेता हो , तो पहले उसे वो दवा दे।
  6. यदि मरीज को होश नहीं आ रहा हो तो उसे जमीन पर लेटा दें। दिल की धड़कने बंद हो गयी हो या साँस नहीं चल रही हो तो CPR (Cardiopulmonary Resuscitation ) प्रक्रिया अपनाए।

 CPR में प्रमुख दो कार्य किए जाते है।

1 ) मुंह के द्वारा साँस देना
2 ) छाती को दबाना

दरअसल CPR में हम श्वसन क्रिया और रक्तभिसरण क्रिया को हम जारी रखते है। यदि मरीज को श्वास नहीं मिले तो   3- 4 मिनटों में मस्तिष्क के पेशी मृत होना शुरू हो जाते है। अगर  10 मिनट तक हम मरीज को कृत्रिम सांस न दे पाएं, तो मरीज के बचने चांस बहुत कम हो जाते है।

क्या है दोनों में अंतर 

हार्ट अटैक में अचानक ही हृदय की किसी मांसपेशी में खून का संचार रुक जाता है, जबकि कार्डियक अरेस्ट में हृदय में खून का संचार बंद कर देता है। हार्ट अटैक के वक्त भी हृदय बाकी शरीर के हिस्सों में खून का संचार करता है और व्यक्ति होश में रहता है, लेकिन कार्डियक अरेस्‍ट में सांस नहीं आती और व्यक्ति के कोमा में जाने की संभावना अधिक रहती है। हालांकि हार्ट अटैक के मरीज को कार्डियक अरेस्ट का खतरा अधिक रहता है। 

क्यों आता है कार्डियक अरेस्ट
जब रक्त में फाइब्रिनोजन की मात्रा ज्यादा हो जाती है हृदय में रक्त का संचार रुक जाता है। रक्त के फाइब्रिनोजन की अधिक मात्रा के कारण हृदय की गति असामान्य हो जाती है।

इलेक्ट्रिक शॉक है इलाज
अगर कोई कार्डियक अरेस्ट से पीड़ित है तो उसे इलेक्ट्रिक शॉक ही बचा सकते है। जिस डिवाइस से इलेक्ट्रिक शॉक दिए जाते है उसे डिफिब्रिलेटर कहते है और कार्डियक अरेस्ट के मरीज की ये आखिरी उम्मीद होती है।

CPR कैसे करें ?

सबसे पहले मरीज को किसी ठोस जगह पर लिटा दे और आप उसके पास घुटनों के बल बैठ जाए।

  1. उसकी नाक और गाला चेक करे कही कुछ अटक तो नहीं गया है ? स्वासनलिका बेहोश अवस्था में सिकुट सकती है। उसके मुंह में ऊँगली डाल कर चेक करे कुछ अटका तो नहीं है।
  2. सीपीआर की दो प्रकियाएं है।  हथेली से छाती पर दबाव डालना और मुंह से कृत्रिम सांस देना।
  3. पेशंट के सीने के बीचों-बीच हथेली रखकर पंपिंग करते हुए दबाएं।  एक से दो बार ऐसा करने से धड़कने फिर से शुरू हो जाएगीं। 
  4. पम्पिंग करते वक़्त दूसरे हाथ को पहले हाथ के ऊपर रख कर उंगलियों से बांध लें अपने हाथ और कोहनी को सीधा रखे। 
  5. अगर पम्पिंग करते वक़्त धड़कने शुरू नहीं हो रही तो पम्पिंग के साथ मरीज को कृत्रिम सांस देने की कोशिश करें। 
  6. हथेली से छाती को 1 -2 इंच दबाए ऐसा प्रति मिनट में 100 बार करें।
  7. 30 बार छाती पर दबाव बनाए और दो बार कृत्रिम सांस दे। 
  8. छाती पर दबाव और कृतिम सांस देने का अनुपात 30 :02  का होना चाहिए।

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com