अतीत में उप पारंपरिक क्षेत्र में वायुसेना का इस्तेमाल को वर्जित माना जाता था, लेकिन बालाकोट एयर स्ट्राइक के बाद स्थिति पूरी तरह बदल चुकी है।
वायुसेना प्रमुख ने एयर पावर स्टडीज सेंटर की ओर से ‘एयर पावर इन नो वार नो पीस सिनेरियो’ विषय पर आयोजित सेमिनार में यह बातें कहीं। भदौरिया ने कहा, सिर्फ 36 राफेल जेट को वायुसेना में शामिल करने से हमारी आवश्यकताओं का समाधान नहीं है।
हमें अपनी युद्धक क्षमता बढ़ाने के लिए सुखोई30 एस व मिग-29 जैसे अन्य विमानों में स्वदेशी अस्त्र मिसाइलों का इस्तेमाल करना होगा। हालांकि निश्चित रूप से मिटियॉर मिसाइलों से लैस राफेल विमानों से भारत की क्षमता में इजाफा होगा। लेकिन हम सिर्फ मिटियॉर मिसाइलों पर निर्भर नहीं रह सकते। हमें और समाधान ढूंढने होंगे।
वायुसेना प्रमुख ने कहा कारगिल युद्ध के दौरान दृश्यता से अधिक दूरी तक मिसाइल की क्षमता के मामले में हमें पाकिस्तान पर बढ़त मिली थी, लेकिन हमने इस मौके को हाथ से जाने दिया। इसके बाद हमें बेहतर क्षमता हासिल करने में डेढ़ दशक से ज्यादा का समय लग गया।