दिल्ली में कृषि कानून के विरोध मे आंदोलनकारी किसान 26 जनवरी को ट्रैक्टर मार्च निकालने का एलान किया हुआ है। ट्रैक्टर मार्च पर रोक लगाने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली पुलिस ने एक याचिका दायर की थी। इस याचिका सुनवाई करते हुए कोर्ट ने संबंधित पक्षों को नोटिस जारी किया है। पुलिस ने दलील दी थी कि किसानों के ट्रैक्टर मार्च से कानून व्यवस्था भंग होने की आशंका है। गणतंत्र दिवस के दिन ऐसे आयोजनों को अनुमति नहीं दिया जा सकता।

CJI ने कृषि कानूनों पर सुनवाई के दौरान कहा कि रामलीला मैदान या अन्य स्थानों पर विरोध प्रदर्शन के लिए किसान दिल्ली पुलिस आयुक्त से अनुमति के लिए आवेदन कर सकते हैं।
बता दें कि दिल्ली की सीमाओं पर किसानों ने 40 दिन से अधिक समय से डेरा डाला हुआ है। टीकरी बॉर्डर, सिंधु बॉर्डर, सोनीपत में कुंडली बॉर्डर और यूपी गेट पर किसान रोड-हाइवे पर धरना दे रहे हैं। इसकी वजह से यातायात व्यवस्था खराब हो गई है। रोड बंद और रूट डायवर्जन की वजह से लोगों को आने-जाने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
सोमवार को कोर्ट ने किसानों के वकीलों से कहा, कानून का अमल रोकने के बाद आप प्रदर्शन जारी रख सकते हैं। हम नहीं चाहते कि कोई कहे कि प्रदर्शन दबाया गया। किसानों के वकील दुष्यंत दवे ने कहा, किसान रामलीला मैदान जाना चाहते हैं, उन्हें क्यों रोका जा रहा है। कोर्ट ने कहा, इतनी संख्या में लोग दिल्ली में आएंगे। कोई गड़बड़ी हुई तो कौन जिम्मेदारी लेगा। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, 26 जनवरी देश के लिए बड़ा दिन है। उस दिन किसी रैली की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए।
प्रदर्शनकारियों की स्थिति पर चिंता
प्रदर्शन कर रहे लोगों की स्थिति पर चिंता जताते हुए पीठ ने कहा, ‘लोग ठंड और महामारी की स्थिति का सामना कर रहे हैं। उनके खाने-पीने की व्यवस्था कौन देख रहा है? महिलाएं और बुजुर्ग जमीन पर सो रहे हैं। आखिर बुजुर्ग क्यों हैं इस प्रदर्शन में? प्रधान न्यायाधीश चाहते हैं कि प्रदर्शनकारी किसान अपने घरों को लौट जाएं। उन्हें मनाने का प्रयास कीजिए।’
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