राजनीतिक रणनीतिकार से जेडीयू के जरिए अपना सियासी सफर शुरू करने वाले प्रशांत किशोर अब नीतीश कुमार से अलग हो चुके हैं, लेकिन बिहार की सियासत में अब वह नए अवतार में नजर आएंगे.
पीके अपनी आगे की राजनीतिक दशा और दिशा पर मंगलवार को पटना में विस्तार से खुलासा करेंगे, लेकिन इससे पहले उन्होंने बातचीत कर एक बात साफ कर दी है कि बिहार में वो एक मैनेजर के तौर पर किसी के सारथी नहीं बनेंगे बल्कि एक राजनीतिक योद्धा के तौर पर मैदान में उतरकर मुकाबला करेंगे.
प्रशांत किशोर ने कहा कि मेरा जन्म बिहार में हुआ है ऐसे में मेरा यहां से गहरा नाता है. हमने देश भर में भले ही राजनीतिक मैनेजर के तौर पर काम किया हो, लेकिन बिहार में मैंने एक पॉलिटिक्ल एक्टिविस्ट के तौर पर अपना सियासी सफर शुरू किया था.
ऐसे में एक बात साफ तौर पर समझ लीजिए कि बिहार में मेरी भूमिका एक मैनेजर की नहीं होगी बल्कि एक राजनीतिक कार्यकर्ता के तौर पर ही होगी.
प्रशांत किशोर ने आगे कहा कि पिछले छह सालों में उत्तर प्रदेश को छोड़कर मैं रणनीतिकार के रूप कोई भी चुनाव नहीं हारा हूं. इससे एक बात साफ है कि मैं चुनाव हारने के लिए नहीं बल्कि जीतने के लिए उतरता हूं. उन्होंने कहा कि मैं राजनीति से दूर नहीं जाऊंगा बल्कि राजनीतिक सक्रियता को अब और आगे बढ़ाने जा रहा हूं.
प्रशांत किशोर ने कहा कि बिहार के लिए हमने जो भी खासा प्लान बना रखा है, वो आने वाले दो तीन महीनों में लोगों को साफ दिखाई देगा. इसके अलावा आगे की रणनीति का खुलासा मंगलवार को विस्तार से किया जाएगा और बताया जाएगा कि हम किस प्लान के तहत काम करेंगे.
बता दें कि चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर 2014 के आम चुनाव में पहली बार चर्चा में आए थे. उन्हें बीजेपी के चुनाव प्रचार को ‘मोदी लहर’ में तब्दील करने का श्रेय जाता है. इसके बाद प्रशांत किशोर ने बीजेपी से नाता तोड़ लिया था और बिहार में नीतीश कुमार के लिए राजनीतिक मैनेजर के तौर पर काम किया और महागठबंधन को सत्ता दिलाने में सफल रहे.
इसके बाद प्रशांत किशोर ने 2018 में जेडीयू से सियासी पारी का आगाज किया था तो बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पीके को बिहार का भविष्य बताया था, लेकिन वक्त और सियासत ने ऐसी करवट ली अब उसी नीतीश कुमार का रुख प्रशांत किशोर के लिए बदल गया है और उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया है, जिसके बाद अब प्रशांत किशोर अपने भविष्य की सियासी लकीर मंगलवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस करके खींचेंगे.
2014 के लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी को जीत का फॉर्मूला गढ़ा. 2015 में बिहार में महागठबंधन की जीत का श्रेय भी पीके को मिला. ऐसे ही आंध्र प्रदेश में जगनमोहन रेड्डी की वाईएसआर कांग्रेस और पंजाब में कांग्रेस की जीत में पीके की प्रचार टीम का अहम रोल था. इसके अलावा दिल्ली में आम आदमी पार्टी और महाराष्ट्र में शिवसेना के साथ का काम किया. फिलहाल पीके की कंपनी पश्चिम बंगाल में टीएमसी और तमिलनाडु में डीएमके के साथ काम कर रही है.