उत्तर प्रदेश में कांग्रेस समेत सपा और बसपा यूपी में मिली हार के बाद 2019 के लोक सभा चुनाव की तैयारी में जुट गए हैं. बिहार की तर्ज पर अब यूपी में भी महागठबंधन की तैयारी अंदरखाने शुरू हो गई है.
जहां एक ओर हार की समीक्षा में सपा और बसपा जुट गई हैं, वहीं कांग्रेस में इस बात को लेकर मंथन चल रहा है कि अगर 2019 में मोदी को रोकना है तो महागठबंधन जरुरी है.
कांग्रेस का मानना है कि यूपी में बीजेपी को मिली प्रचंड बहुमत यह बात साफ करती है कि कोई भी दल अकेले बीजेपी और मोदी से टक्कर नहीं ले सकता. लिहाजा बिहार की तर्ज पर महागठबंधन जरुरी है और समय की मांग भी.
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कांग्रेस के टॉप नेताओं का मानना है कि बिहार की तर्ज पर यूपी में महागठबंधन नहीं हो सका. यही वजह थी कि यूपी में बीजेपी को तीन चौथाई बहुमत मिला.
कांग्रेस की मानें तो यूपी की दो प्रमुख क्षेत्रीय दलों को अपने आपसी बैर को मिटाकर महागठबंधन करने की जरुरत है.
गौरतलब है कि राजनैतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण उत्तर प्रदेश में बीजेपी के पास विधान सभा में 325 सीटें हैं जबकि लोक सभा में 73. सपा और बसपा अब दूसरे और तीसरे नंबर की पार्टी बनकर रह गईं हैं.
कांग्रेस सूत्रों के अनुसार एक बार हार से उबर जाने के बाद सभी विपक्षी दलों को एक साथ लाने की कवायद शुरू होगी. मोदी और बीजेपी के खिलाफ अब रणनीति बदलनी होगी. इसके लिए एक महागठबंधन की जरुरत है जिसमें सपा और बसपा भी शामिल हो.
सूत्रों के मुताबिक सपा और बसपा के बीच आपसी मतभेद और बेस वोट बैंक में टकराव की वजह से ही यूपी में महागठबंधन नहीं हो पाया. यही मुख्य वजह थी कि बिहार में आरजेडी-जेडीयू-कांग्रेस महागठबंधन की सफलता को यूपी में नहीं दोहराया जा सका.
संभावित महागठबंधन पर कांग्रेस के महासचिव सीपी जोशी ने कहा, “हम वह सब कुछ करेंगे जिससे मोदी की सियासी दांव को चुनौती दी जा सके. लेकिन इसके लिए राज्य-आधारित सियासी चुनौती को भी समझने की जरुरत होगी. हम देखेंगे की 2019 में मोदी को कड़ी से कड़ी टक्कर कैसे दी जाए.”
गौरतलब है कि इस बार के चुनावों में सपा-कांग्रेस में गठबंधन के बाद भी त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिला जिसका फायदा बीजेपी को हुआ. पहली बार बाबरी विध्वंस के बाद 1993 में पहली बार सपा और बसपा एक साथ चुनाव लड़े थे और बीजेपी को चारो खाने चित कर दिया था. लेकिन लखनऊ के गेस्ट हाउस काण्ड जिसमें सपा के नेताओं ने मायावती के साथ मारपीट की उसके बाद से दोनों पार्टियों में तल्खी ऐसी बढ़ी की कभी कम नहीं हुई.
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इसके बावजूद कांग्रेस नेताओं का मानना है कि सपा और बसपा के पास और कोई दूसरा रास्ता नहीं है. अगर पार्टी के अस्तित्व को बचाना है तो तीनों ही पार्टियों को मोदी के खिलाफ एकजुट होना ही होगा.