यूपीए की अध्यक्ष सोनिया गांधी अपने बेटे और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ कर्नाटक के मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी के शपथ ग्रहण समारोह में गईं और 2019 के आम चुनाव का बीज बोकर लौट आईं। बसपा सुप्रीमो मायावती ने यह पहल शुरू की। मायावती आगे बढ़ीं, सोनिया गांधी के पास गईं और उनके कमर में हाथ डालकर संबंधों की गंभीरता दिखाते हुए साथ खड़ी हो गईं।
राजनीति की अच्छी समझ रखने वाली सोनिया गांधी ने समय की गंभीरता को परखा और मायावती के माथे पर अपना सिर रख दिया। राजनीतिक हलकों में इस पल को काफी गंभीरता से लिया जा रहा है।
2007 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को जीतकर आने के समय भी सोनिया और मायावती का तेलमेल काफी अच्छा था। माना यह जा रहा है कि बसपा और कांग्रेस के बीच में एक बार राजनीतिक तालमेल बनाकर आगे बढ़ने के संकेत मिल सकते हैं।
यूपीए चेयरपर्सन के करीबी सूत्र भी बताते हैं कि 2003 की तरह की 2018 में भी सोनिया गांधी ने भाजपा की 2019 की चुनौती को स्वीकार कर लिया है। इसी इरादे से वह कर्नाटक विधानसभा चुनाव प्रचार में भी उतरी थीं और अब सरकार बनने के बाद शपथ ग्रहण समारोह में भी शरीक होने का निर्णय लिया।
माना यह जा रहा है कि यूपीए चेयरपर्सन 2018 में यूपीए के दायरा को बढ़ाने, कुछ और दलों को इसका हिस्सा बनाने का प्रयास करेंगी। यह पूरा प्रयास कांग्रेस पार्टी को विपक्ष के राजनीति की धुरी बनाकर होगा।
किसी मंच पर नहीं दिखे इतने राजनीतिक दलों के नेता
किसी राज्य के मुख्यमंत्री के शपथ ग्रहण समारोह में इतने राजनीतिक दलों के शीर्ष नेता शायद ही दिखे हों। सबसे खास बात यह रही कि राजनीति में एक-दूसरे के धुर विरोधी नेता भी इसमें शामिल हुए। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार, लोकतांत्रिक जनता दल के संरक्षक शरद यादव, भाकपा के डी राजा, समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव, बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती, तृणमूल कांग्रेस और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, तेलुगु देशम पार्टी के प्रमुख और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू, आम आदमी पार्टी के प्रमुख और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, राष्ट्रीय जनता दल के तेजस्वी यादव, राष्ट्रीय लोकदल के चौधरी अजीत सिंह, झारखंड मुक्ति मोर्चा के हेमंत सोरेन, डीएमके की कणिमोझी, केरल के मुख्यमंत्री विजयन समेत अन्य मौजूद रहे।
अलग-थलग रहे चंद्रबाबू नायडू
कभी एनडीए के संयोजक रहे और मौजूदा समय में आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू भी एचडी कुमारस्वामी के शपथ ग्रहण समारोह में शरीक हुए। कुमारस्वामी ने उनका स्वागत भी किया लेकिन अन्य दलों के नेताओं की तरफ से मंच पर प्रसारण के दौरान उन्हें खास तवज्जो मिलती नहीं दिखी।
चंद्रबाबू नायडू की पार्टी ने केन्द्र की भाजपा सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया है। कर्नाटक विधानसभा चुनाव प्रचार समाप्त होने के बाद भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने तिरुपति बालाजी का दर्शन किया था। इस दौरान टीडीपी के कार्यकर्ताओं ने अमित शाह गो-बैक के नारे भी लगाए थे।
इतना ही नहीं पिछले कुछ महीने से चंद्रबाबू नायडू तीसरा मोर्चा को गठित करने की संभावनाओं को धार देने की कोशिश में है, लेकिन कर्नाटक के मुख्यमंत्री पद शपथ ग्रहण समारोह में उन्हें प्रसारण के दौरान दिखाई पड़ रहा रिस्पांस अच्छे समीकरण का संकेत नहीं दे रहा था।