संयुक्त मध्यप्रदेश में छत्तीसगढ़ का हिस्सा हमेशा से कांग्रेस का गढ़ माना जाता था. केंद्र की अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने जब छत्तीसगढ़ को नया राज्य बनाया तो वहां पहली सरकार भी कांग्रेस की बनी. लेकिन राजनीति में कहां कोई चीज नियत होती है. जल्द ही कांग्रेस की अजीत जोगी सरकार चली जाती है और रमन सिंह साल 2003 में राज्य के सीएम बन जाते हैं. इसके बाद से अब तक वहां बीजेपी की ही सरकार है और हर चुनाव में कांग्रेस हाशिए पर ही रही है. लेकिन विधानसभा की तीन ऐसी सीट है, जहां आज तक कांग्रेस अजेय है.
छत्तीसगढ़ की खरिया और कोटा तीन सीटों पर हर बार कांग्रेस कैंडिडेट जीतता है. इमरजेंसी के बाद हुए चुनावों में जब पूरे देश में कांग्रेस की स्थिति खराब हो गई. लेकिन इन दो सीटों पर कांग्रेस उस दौर में भी जीत गई. इसके बाद रमन सिंह लगातार इन सीटों को जीतने का प्रयास करते रहे, लेकिन उन्हें कामयाबी नहीं मिली.
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खरसिया
खरसिया सीट इस बार काफी चर्चा में है. बीजेपी ने यहां पूर्व आईएएस अफसर ओपी चौधरी को उम्मीदवार बनाया है. यह सीट काफी लक्ष्मी प्रसाद पटेल के नाम से जानी जाती रही है. वह यहां से 1977 से 1988 तक विधायक रहे. साल 1988 में मुख्यमंत्री बनने के बाद अर्जुन सिंह यहां लड़े और जीते. साल 1990 में नंदकुमार पटेल यहां से विधायक बने और 2008 तक जीतते रहे. साल 2013 में झीरमघाटी कांड में नंदकुमार पटेल का निधन हो गया और फिर उनके बेटे उमेश पटेल लड़े और रिकॉर्ड वोट से जीते हैं.
कोटा
दूसरी सीट कोटा की है. साल 1952 में यहां से काशीराम तिवारी विधायक बने. 1967 में मथुरा प्रसाद बने जो 1980 तक रहे. 1985 से 2006 में निधक तक यहां राजेंद्र प्रसाद शुक्ल विधायक रहे. इसके बाद हुए उपचुनाव से लेकर 2008 और 2013 के चुनाव में अजीत जोगी की पत्नी रेणु जोगी ककयहां से जीतीं. इस बार रेणु अपने पति जोगी की पार्टी से कैंडिडेट हैं. वहीं, कांग्रेस ने विभोर सिंह को उम्मीदवार बनाया है. विभार डीएसपी रह चुके हैं.
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