बांग्लादेश की एक अदालत ने 19 साल की छात्रा को जिंदा जला कर मार डालने के दोषी 16 लोगों को मौत की सजा सुनाई है। इस साल अप्रैल में हुई इस शर्मनाक घटना के बाद पूरे देश में रोष फैल गया था। इस मामले में सोनगाजी इस्लामिया सीनियर फाजिल मदरसा के प्रधानाचार्य सिराजुद्दौला और 15 अन्य लोगों को अदालत ने दोषी पाते हुए मृत्युदंड की सजा सुनाई।

इन लोगों ने मदरसे की छात्रा नुसरत जहां रफी पर मिट्टी का तेल डाल कर जीवित जला दिया था। नुसरत ने प्रधानाचार्य के खिलाफ यौन उत्पीड़न की शिकायत की थी। हमलावरों ने उसे कॉलेज की छत पर धोखे से बुलाया और उसकी पुलिस में दर्ज शिकायत को वापस लेने को कहा। नुसरत के इंकार पर उन्होंने उसे बांध दिया और केरोसिन डाल कर आग लगा दी।
इससे वह 80 फीसदी जल गई और पांच दिन बाद 10 अप्रैल को उसने अस्पताल में दम तोड़ दिया। नुसरत की मौत से पूरे बांग्लादेश में आक्रोश फैल गया और राजधानी ढाका में कई दिनों तक विरोध प्रदर्शन हुए। प्रधानमंत्री शेख हसीन ने तब वादा किया कि दोषियों को हर हाल में सजा दिलवाई जाएगी।
हिम्मती नुसरत न डरी न पीछे हटी
नुसरत की हिम्मत की वजह से दोषी बच न सके। जब वह पहली बार यौन उत्पीड़न की शिकायत लेकर पुलिस के पास गई तो उसे वहां से टरका दिया गया था। जब उसे जिंदा जलाया गया तब भी वह आग की लपटों से घिरी होने पर भी सीढ़ियों से नीचे उतरी। जब वह एम्बुलेंस में जा रही थी तो उसने भाई को मोबाइल से फोन करके कहा वह आखिरी सांस तक इंसाफ के लिए लड़ेगी। नुसरत सही साबित हुई।
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