भारत में अनेक धर्मों के लोग रहते हैं, और सभी लोग मिल-जुलकर अपने त्योहार बड़े ही उत्साह के साथ मनाते हैं। इसी कड़ी में इस बार 14 अप्रैल 2021 से रमजान का पाक महीना शुरू होने जा रहा है। इस्लाम में इस महीने का बहुत अधिक महत्व होता है। इस महीने में रोजा रखा जाता है और नमाज भी पढ़ी जाती है। बच्चे हो या बूढ़े हर कोई रमजान को बहुत ही धूमधाम से मनाता है। लेकिन क्या आप इसके इतिहास के बारे में जानते हैं? क्या आप इसके मायने जानते हैं? अगर नहीं, तो चलिए हम आपको इस बारे में बताते हैं।
चांद दिखने के बाद रमजान के पाक महीने की शुरुआत होती है, जिसके बाद लोग लगभग एक महीने तक रोजा रखते हैं। वहीं, रमजान के आखिरी दिन बाद ईद होती है और इस दिन लोग नए कपड़े पहनते हैं और गले मिलकर एक-दूसरे को ईद की बधाई देते हैं।
हर साल इस्लाम समुदाय के लोग रोजे रखते हैं और रमजान के त्योहार को मनाते हैं। ये समय उनके लिए बेहद खास होता है। दरअसल, इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार सन् 2 हिजरी में अल्लाह के हुक्म से मुसलमानों पर रोजे रखना जरूरी किया गया। इसी महीने में शब-ए-कदर में अल्लाह ने कुरान जैसी नेमत दी और तभी से इस समुदाय के लोग रमजान के पाक महीने में रोजे रखते हुए आ रहे हैं।
रोजे रखने के पीछे ये मकसद है कि लोगों में इबादत का शौक पैदा हो और उनका अल्लाह पर यकीन बना रहे। साथ ही इस दौरान सभी तरह के गलत कामों से तौबा की जाती है। यही नहीं, लोगों से हमदर्दी रखना, लोगों को नेकी का काम करने को लेकर प्रेरित करना आदि।
वैसे तो रमजान के पाक महीने में बड़े लोगों के साथ बच्चे भी बढ़-चढ़कर रोजे रखते हैं, लेकिन कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जिन्हें रोजे में छूट होती है। जैसे- अगर कोई व्यक्ति बीमार है तो इस वजह से उसे रोजे में छूट मिल जाती है। (डॉक्टर की सलाह से आपको कदम उठाना चाहिए।), कोई सफर पर हो, बच्चे को दूध पिलाने वाली मां को, गर्भवती महिलाओं को और जो काफी ज्यादा बुजुर्ग होते हैं उन्हें भी रोजे में छूट होती है।