विस्तारित क्षेत्र के शामिल होने से नगर निगम में वार्डों की संख्या 120 तक पहुंच सकती है। अभी तक नगर निगम में 110 वार्ड शामिल थे, लेकिन 88 गांवों की 2,69,464 आबादी शामिल होने से दस वार्ड को बढ़ाया जा सकता है। यह आबादी भी 2011 की जनगणना के अनुसार है। 2021 में जनगणना नहीं हो पाई थी। उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक वार्ड वाला ही लखनऊ नगर निगम ही है, जिसके पास अभी तक 110 वार्ड हैं और अब 120 वार्ड हो जाएंगे।
पिछले निकाय चुनाव में नगर निगम में वार्डों का परिसीमन 2011 की जनगणना के आधार पर ही किया गया था। इसी हिसाब से वार्ड की आबादी को बांटा गया था। 28,17,105 की आबादी को 110 से विभाजित करने के बाद ही किसी भी एक वार्ड की आबादी 25609 आई थी। अब 88 गांवों की आबादी के जुड़ जाने के बाद उसे 120 से विभाजित करने से 26 से 27 हजार के आसपास ही किसी एक वार्ड की आबादी होगी।
नगर निगम (विस्तारित क्षेत्र से पहले) का कुल क्षेत्र 310.104 वर्ग किलोमीटर है। 2011 की जनगणना के अनुसार आबादी 28,17,105 (विस्तारित क्षेत्र से पहले) है। 88 गांवों के शामिल होने से 257,872 वर्गकिलोमीटर का क्षेत्रफल बढ़ गया है। वर्ष 2011 की जनगणना में 88 गांवों की आबादी 2,69,464 थी।
नई आबादी और नया क्षेत्रफल शामिल होने से वार्डों की सीमा इधर से उधर खिसक जाएगी। ऐसे में जिस वार्ड में पार्षद ने विकास कराया है, शायद उसे उसका लाभ परिसीमन में न मिल पाए। उसी तरह वार्ड में पार्षदी की तैयारी कर रहे नए चेहरों को भी झटका लगेगा। आरक्षण का असर भी वार्डों में दिखेगा। आरक्षित श्रेणी में कई ऐसे वार्ड भी आ सकते हैं, जो अभी सामान्य व महिला श्रेणी में हैं।
आरक्षण महिला, अनुसूचित जाति और पिछड़ा वर्ग के हिसाब से होता है। लंबे समय से वार्ड परिसीमन से जुड़े एक अधिकारी का कहना है कि 2011 की जनगणना के अनुसार विस्तारित क्षेत्र की आबादी जोड़ने पर दस वार्ड और बढ़ाए जा सकते हैं। किसी एक वार्ड की आबादी 26 से 27 हजार के आसपास ही होगी।
पिछली बार महापौर और 110 पार्षदों ने 12 दिसंबर को शपथ ली थी। इस हिसाब से पांच साल का कार्यकाल पूरा होने पर नवंबर में चुनाव होने हैं। यही कारण है कि विस्तारित क्षेत्र को शामिल होने से दो नगर निगम बनाने की योजना ठंड बस्ते में चली गई, क्योंकि उसकी लंबी प्रक्रिया होने से चुनाव प्रभावित होता।