1. एक ऐतिहासिक युद्ध के लिए तीन मूर्ति चौक अब इजरायल के शहर हाइफा के नाम पर तीन मूर्ति हाइफा चौक कहलाएगा।
2. तीन मूर्ति चौक का इजराइल के साथ ऐतिहासिक संबंध है। तीन मूर्ति स्मारक की तीनों मूर्तियां तांबे की बनी हैं, जो हैदराबाद, जोधपुर और मैसूर लेंसर्स को रि-प्रेजेंट करती हैं।
3. ये तीनों 15 इम्पिरियल सर्विस कैवलरी ब्रिगेड का भी हिस्सा रह चुके हैं। इजरायल के हाइफा शहर में 23 सितंबर 1918 को जंग लड़ी गई थी।
4. हाइफा युद्ध में राजपूताने की सेना का नेतृत्व जोधपुर रियासत के सेनापति दलपत सिंह ने किया था।
5. इस लड़ाई में जोधपुर की सेना के करीब 900 सैनिक शहीद हुए थे। राठौड़ों की इस बहादुरी से प्रभावित होकर भारत में ब्रिटिश सेना के कमांडर-इन-चीफ ने फ्लैग-स्टाफ हाउस के नाम से अपने लिए एक रिहायसी भवन का निर्माण करवाया।
6. इस चौराहे के बीच में गोल चक्कर के बीचों बीच एक स्तंभ के किनारे तीन दिशाओं में मुंह किए हुए तीन सैनिकों की मूर्तियां लगी हुई हैं। जो रणबांका राठौड़ों की बहादुरी को यादगार बनाने के लिए बनाई गई थी।
7. हर साल 23 सितंबर को भारतीय योद्धाओं को सम्मान देने के लिए हाइफा के मेयर, इजरायल की जनता और भारतीय दूतावास के लोग एकत्र होकर ‘हाइफा दिवस’ मनाते हैं। भारतीय सेना भी 23 सितंबर को ‘हाइफा दिवस’ मनाती है।
8. उत्तरी दिल्ली नगर निगम (NDMC) पहले ही इन तीन मूर्ति चौक का नाम बदलने की परमिशन दे चुकी है।
9. बता दें कि इजरायल की सरकार आज तक हाइफा, यरुशलम, रमल्लाह और ख्यात के समुद्री तटों पर बनी 900 भारतीय सैनिकों की समाधियों की अच्छी तरह देखरेख करती है।
10. इजरायल के बच्चों को इतिहास की पाठ्य-पुस्तकों में भारतीय सैनिकों के शौर्य और पराक्रम की कहानियां इस युद्ध का उद्हारण देकर समझाया जाता है।