होली के 8 दिन पहले होलाष्टक शुरू हो जाता है। इस बार होलाष्टक 23 फरवरी से आरम्भ होगा। फाल्गुन शुक्ल पक्ष की अष्टमी से लेकर होलिका दहन तक के समय को होलाष्टक माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दौरान शुभ कार्य करने पर अपशगुन होता है।
होलाष्टक के पीछे शास्त्रों में कारण बताया गया है। भगवान शिव की तपस्या को भंग करने के लिए जब कामदेव शिव जी के सामने प्रगट हुए तो कामदेव को भगवान शिव ने फाल्गुन शुक्ल पक्ष की अष्टमी को भष्म कर दिया था। तब संसार में शोक की लहर फैल गई थी।
होलाष्टक के दौरान शुभ कार्य वर्जित होने के पीछे ज्योतिष मान्यता भी है जिसके अनुसार अष्टमी से लेकर पूर्णिमा तक राहु उग्र रूप में रहते हैं।
पूर्णिमा के आठ दिन पहले अशुभ ग्रहों के प्रभाव के चलते मनुष्य का मन ढ़ेर सारी आशंकाओं से ग्रसित रहता है। चैत्र कृष्ण प्रतिपदा को आठ ग्रहों की नकारात्मक शक्ति कम होने लगती है और मन खुश होने लगता है।