सईद ने कहा कि पाकिस्तान सरकार ने संयुक्त राष्ट्र और भारत जैसी विदेशी ताकतों के दबाव में काम किया है। उसने कहा कि पाकिस्तान एक आजाद मुल्क है और अपने नागरिकों के लिए अपना कानून बनाता है। यदि देसी कानून और संयुक्त राष्ट्र के कानून के बीच कोई विवाद हो तो उस स्थिति में देसी कानून प्रभावी होगा। सईद पिछले साल जनवरी से नजरबंद था और उसे नवंबर में रिहाई मिली थी।
अंतर्राष्ट्रीय दबाव के चलते पाकिस्तान ने मुंबई हमले के मास्टरमाइंड हाफिज सईद के खिलाफ कार्रवाई शुरू की थी। आपको बता दें कि पिछले महीने ही संयुक्त राष्ट्र संघ दल के लोगों ने पाकिस्तान का दौरा किया गया था। यह दौरा उन लोगों की गिरफ्तारी का जायजा लेने के लिए किया था जिन पर पाकिस्तान ने प्रतिबंध लगाया है।
पाकिस्तान का ऐसा करने के पीछे का कारण है कि उसे अपने खिलाफ होने वाली कार्रवाई का डर सता रहा है। इस कार्रवाई के पीछे की असल वजह है पेरिस में होने जा रही फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की बैठक। एफएटीएफ की सूची में पाक साल 2012 में शामिल हुआ था। वह तीनि साल तक इसमें रहा भी। पंजाब सरकार के आदेश के बाद ही रावलपिंडी के जिला प्रशासन ने सईद से संबंधित जमात-उद-दावा और फलाह-ई-इंसानियत फाउंडेशन द्वारा संचालित एक मदरसा और चार डिस्पेंसरियों को भी नियंत्रण में ले लिया है।
इस पर हाफिज ने यह भी कहा कि यह सरकार की तरफ से गैरकानूनी कार्रवाई है। बिना किसी आधार पर मुझे 10 महीनों तक जेल में भी कैद किया गया। अब मेरे सकूलों, अस्पतालों सहित अन्य चैरिटी संस्थाओं पर भी प्रतिबंध लगाया जा रहा है। इससे पंजाब, बलूचिस्तान, सिंध, आजाद कश्मीर सहित उत्तरी इलाके में चलाए जा रहे कार्य प्रभावित होंगे।
साथ ही पाकिस्तान सरकार ने एक अध्यादेश जारी कर तत्काल प्रभाव से हाफिज के जेयूडी और एफआईएफ से जुड़ी संपत्ति को भी अपने कब्जे में ले लिया था। हाफिज ने अपने कार्यकर्ताओं को दिेए संदेश में यह भी कहा था कि सरकार भारत और अमेरिका को खुश करने के लिए ऐसा कर रही है जिसके खिलाफ हम अदालत में आवाज उठायेंगे।
जानकारी के लिए बता दें कि लश्कर-ए-तैयबा के संस्थापक हाफिज सईद को संयुक्त राष्ट्र संघ ने 2008 में वैश्विक आतंकी घोषित किया था। साथ ही हाफिज पर साल 2012 मे 10 मिलियन बाउंटी डॉलर का इनाम भी रखा गया था।
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