हाथरस पीड़िता का दुपट्टे से गला दबाया गया था : मेडिको लीगल केस रिपोर्ट

हाथरस की पीड़िता ने जख्मी हालत में एक वीडियो में बयान दिया था कि उसका यौन उत्पीड़न (सेक्सुअली असॉल्ट) किया गया, उसके आठ दिन बाद अलीगढ़ के अस्पताल की ओर से पीड़िता के मेडिको-लीगल निरीक्षण में प्राइवेट पार्ट में ‘कम्पलीट पेनिट्रेशन’, ‘गला दबाने’ और ‘मुंह बांधने’ का जिक्र था.

लेकिन इसी अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (AMU) के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज (JNMC) ने अपनी फाइनल ओपिनियन (अंतिम राय) में, फॉरेंसिक विश्लेषण का हवाला देते हुए इंटरकोर्स (संभोग) की संभावना को खारिज कर दिया.

22 सितंबर की मेडिको लीगल केस (MLC) रिपोर्ट ने यूपी पुलिस के उन दावो का खंडन किया कि फॉरेंसिक जांच में रेप के कोई सबूत नहीं मिले. उत्तर प्रदेश के एडीजी (कानून व्यवस्था) प्रशांत कुमार ने जोर देकर कहा था कि पीड़िता के सैम्पल्स पर शुक्राणु/वीर्य नहीं पाए गए.

JNMC के फॉरेन्सिक मेडिसिन डिपार्टमेंट की ओर से तैयारी एमएलसी के मुताबिक पीड़िता ने हमले के वक्त अपनी सुध खो दी थी.

निष्कर्ष में पाया गया कि पीड़िता का दुपट्टे से गला दबाया गया था. पीड़िता के बयान के आधार पर चार संदिग्धों को आरोपी बनाया गया है. एमएलसी रिपोर्ट के मुताबिक ‘पीड़िता का मुंह बंद कराया गया’ और उसे हत्या के इरादे से किए गए हमले का सामना करना पड़ा.

निष्कर्षों से जुड़े आरेखों (डायग्राम्स) में, गला दबाने से पीड़िता की गर्दन पर लिगचर मार्क्स दाईं ओर 10×3 सेमी, और बाईं ओर 5×2 सेमी के थे.

हालांकि, एमएलसी ने दर्ज किया है कि पीड़िता को ‘कम्पलीट पेनिट्रेशन’ का सामना करना पड़ा था.

JNMC के फॉरेंसिक मेडिसिन डिपार्टमेंट में सहायक प्रोफेसर डॉ फैज अहमद की ओर से हस्ताक्षरित, रिपोर्ट में एक सेक्शन में “पता नहीं” लिखा गया. ये सेक्शन इस संबंध में था कि क्या पीड़ित के शरीर के अंगों या कपड़ों में अंदर या बाहर वीर्य के सैम्पल थे.

निरीक्षण रिपोर्ट 22 सितंबर को दोपहर 1.30 बजे पूरी हुई. पीड़िता पर हमला 14 सितंबर को हुआ था. निरीक्षण करने वाली डॉक्टर भूमिका के मुताबिक पीड़िता को मजबूर किया गया था. हालांकि, उन्होंने साथ ही कहा कि एक विस्तृत राय केवल एक विस्तृत विश्लेषण के बाद एक सक्षम फॉरेंसिक साइंस लैबोरेटरी की ओर से ही दी जा सकती है.

डॉक्टर भूमिका ने लिखा, “लोकल निरीक्षण के आधार पर, मेरी राय है कि बल इस्तेमाल किए जाने के संकेत हैं. हालांकि, पेनिट्रेटिव इंटरकोर्स (संभोग) के संबंध में राय सुरक्षित है क्योंकि एफएसएल रिपोर्ट की उपलब्धता लंबित है.”

लेकिन 10 अक्टूबर को हाथरस जिले के सादाबाद पुलिस स्टेशन को दिए गए पत्र में, जेएनएमसी ने सैम्पल्स की पूरी फॉरेंसिक जांच का हवाला दिया और निष्कर्ष निकाला कि पीड़िता का यौन उत्पीड़न नहीं किया गया था. इसमें लिखा गया है कि ‘वैजाइनल/एनल इंटरकोर्स के कोई संकेत नहीं हैं.’

डॉ अहमद की ओर से हस्ताक्षरित पत्र में पीड़ित की गर्दन और पीठ पर चोट के निशान का जिक्र है. जेएनएमसी के फॉरेंसिक मेडिसिन विभाग ने कहा, “शारीरिक हमले (गर्दन और पीठ पर चोट) के सबूत हैं.”

इससे पहले, बीजेपी की आईटी सेल ने पीड़िता और उसकी मां के वीडियो का हवाला देकर केस में रेप के आरोपों को डाउनप्ले किया था.

लेकिन पीड़िता के उसी बयान और उसके दो अन्य विडियो को सुना गया तो सामने आया कि पीड़िता की ओर से लगातार हमलावरों की ओर से यौन उत्पीड़न किए जाने की शिकायत की थी.

मीडिया द्वारा जांच की गई तीन में से एक वीडियो में, वह रवि और संदीप की उसका यौन उत्पीड़न करने वालों के तौर पर पहचान बताती है. इस क्लिप को 22 सितंबर को अलीगढ़ के उसी जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में कथित तौर पर रिकॉर्ड किया गया था.

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