हाथरस कांड की हर गतिविधि पर नजर रख रहे है : DM चंद्रभूषण सिंह

हाथरस कांड में पीएफआई की एंट्री के सबूत मिलने और उसके इशारे पर जातीय दंगे भड़काने की साजिश का खुलासा होने के बाद एजेंसियां अब तमाम सवालों पर काम कर रही हैं। कौन-कौन उकसाने वालों की सूची में शामिल हो सकता है। इन तमाम तथ्यों पर जांच की जा रही है। खुद एडीजी जोन अजय आनंद व आईजी रेंज पीयूष मोर्डिया हाथरस में कैंप किए हुए हैं और इन सवालों की जांच अपनी निगरानी में करा रहे हैं।

हाथरस में बेटी की मौत के बाद से लोगों की आवाजाही शुरू हुई है। मीडिया भी उसी रात से वहां पहुंची हुई है। मीडिया की आड़ में भी कुछ लोगों के वहां पहुंचने का इनपुट है। कई गैर हिंदी भाषी राज्यों से भी लोग वहां पहुंचे हैं। इन सब का इनपुट एलआईयू के पास मौजूद है।

इसे लेकर यह देखा जा रहा है कि कौन ऐसे लोग हैं जो मामले पर लोगों को उकसा सकते हैं। किस तरह से परिवार को बरगलाया जा रहा है। इसके अलावा क्षेत्र की अनुसूचित आबादी वाले गांवों पर भी नजर रखी जा रही है। वहां लोगों की दिनचर्या क्या है। रात में लोगों की कहीं आवाजाही तो नहीं है। इन तामाम सवालों पर काम किया जा रहा है।

एजेंसियों के स्तर से यह जानकारी मिली कि पीएफआई द्वारा फंडिंग कर एक संस्था को तैयार कर फेक आईडी से जस्टिस फार हाथरस विक्टिम नाम से वेबसाइट बनाई गई है। इस वेबसाइट पर कुछ ही देर में फेक आईडी से काफी संख्या में लोग जुड़ रहे हैं और उसे लगातार शेयर कर रहे हैं।

इस वेबसाइट में लोगों को भड़काने से लेकर ऐसे तरीके भी बताए जा रहे थे कि किस तरह पुलिस से बचा जा सकेगा। एजेंसियों ने जब इस दिशा में काम शुरू किया तो वेबसाइट ब्लॉक हो गई। मगर जांच में पाया गया कि इसमें भड़काने जैसी तमाम सामग्री अपलोड की गई थी।

इसके बाद एजेंसियों के इनपुट व शासन से मिले निर्देश पर अलीगढ़ व हाथरस जिले में ऐसे लोगों को चिह्नित करने का काम किया जा रहा है जो पीएफआई से जुड़े हैं। उनकी धरपकड़ के लिए भी साइबर सेल की टीमों से मदद ली जा रही है। इस विषय में डीएम चंद्रभूषण सिंह ज्यादा खुलकर तो कुछ नहीं कहते, मगर इतना जरूर कहते हैं कि हाथरस कांड को लेकर अपने जिले में हर गतिविधि पर नजर है। शासन के निर्देशों पर भी ध्यान दिया जा रहा है।

 

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