हाउस टैक्स माफी: केजरीवाल का ये वादा मोदी के बिना नहीं हो पाएगा पूरा, येे है वजह

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली एमसीडी चुनाव के मद्देनज़र एक बड़ा दांव खेला है. केजरीवाल ने वादा किया है कि अगर उनकी पार्टी (आम आदमी पार्टी) एमसीडी में जीतकर आती है तो हाउस टैक्स खत्म कर दिया जाएगा और बकाया टैक्स भी माफ कर दिया जाएगा. हालांकि जानकारों के मुताबिक ये वादा पूरा करना इतना आसान नहीं है और इसके लिए केजरीवाल को संसद की शरण में जाना होगा.

क्या है तकनीकी स्थिति

हाउस टैक्स माफ़ी के सम्बन्ध में साऊथ एमसीडी में नेता सदन सुभाष आर्य का कहना है कि डीएमसी एक्ट के मुताबिक हाउस टैक्स माफ़ नहीं किया जा सकता. हाउस टैक्स ही दिल्ली एमसीडी की आय का मुख्य स्रोत भी है. इसके लिए डीएमसी एक्ट में संशोधन करना पड़ेगा जो कि सिर्फ संसद से ही संभव है. एमसीडी का सदन टैक्स माफ़ी का प्रस्ताव पास करके दिल्ली सरकार को भेजेगी और फिर यह केंद्र सरकार के पास जाएगा. संसद में प्रस्ताव पास होने के बाद ही एक्ट में संशोधन होगा और टैक्स माफ़ किया जा सकेगा.

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एमसीडी की आय का प्रमुख स्त्रोत है हाउस टैक्स

बता दें कि दिल्ली की तीनों एमसीडी (नॉर्थ, साउथ और ईस्ट) के लिए इस वक्त आय का सबसे बड़ा स्रोत हाउस टैक्स है. आंकड़ों के मुताबिक फिलहाल 1100 करोड़ रुपए की सालाना आय हाउस टैक्स से ही हो रही है. गौरतलब है कि हाउस टैक्स आने के बावजूद साउथ एमसीडी को छोड़ दें तो नॉर्थ और ईस्ट एमसीडी की आर्थिक स्थिति बेहद खराब है. कर्मचारियों को सैलरी नहीं मिलने की वजह से वह हड़ताल पर जा चुके हैं.

क्या कहते हैं केजरीवाल

सीएम केजरीवाल का कहना है कि उन्होंने एमसीडी की स्थिति का पूरी तरह अध्ययन किया है. अगर लोगों से हाउस टैक्स नहीं भी लिया जाता तो एक साल में वह एमसीडी को फायदा में ले आएंगे. उन्होंने कहा कि लोग टैक्स के रूप में जो पैसा एमसीडी को देते हैं वह नेता और अधिकारी मिलकर खा जाते हैं. मुख्यमंत्री केजरीवाल ने हाउस टैक्स नहीं लेने का दिल्ली की जनता से वादा तो किया है लेकिन एमसीडी चुनाव पूर्ण बहुमत से जीतने के बावजूद इस वादे को पूरा करने में बेहद परेशानी खड़ी होने वाली है.

हाउस टैक्स एमसीडी की आय का मुख्य स्रोत है. यह लेने का अधिकार डीएमसी एक्ट ने एमसीडी को दिया है. हालांकि हाउस टैक्स कम या खत्म करने के लिए उपराज्यपाल के रास्ते केंद्र सरकार का दरवाजा खटखटाना होगा. बिना केंद्र सरकार की परमिशन के ऐसा कर पाना संभव नहीं होगा. दिल्ली और केंद्र सरकार के बीच तल्खी जगजाहिर है. ऐसे में यह कह पाना मुश्किल है कि केंद्र सरकार एमसीडी में आम आदमी पार्टी के आने के पर इस फैसले पर मुहर लगाएगी.

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