हाईवोल्टेज मैच में करोड़ों का सट्टा पकड़ाया, 8 गिरफ्तार

आरोपियों ने पुलिस को बताया कि देश के कई शहरों में उनका नेटवर्क है, आईपीएल के अलावा वे अन्य खेलों में भी सट्टा चलाते हैं। 

देश इस समय आईपीएल के रोमांच से गुजर रहा है और इंदौर में एक हाईवोल्टेज आईपीएल क्रिकेट मैच के दौरान करोड़ों रुपए का सट्टा पकड़ा है। पुलिस ने इंदौर में बुधवार को ऑनलाइन जुआ, सट्टा एवं अवैधानिक गतिविधियां संचालित करने वाले आठ आरोपियों को गिरफ्तार किया। क्राइम ब्रांच टीम को मुखबिर द्वारा सूचना मिली थी कि लसूड़िया क्षेत्र के स्कीम 136 स्थित फ्रेंडजो मल्टी के फ्लैट में आईपीएल क्रिकेट मैच का ऑनलाइन सट्टा संचालित किया जा रहा है।

मुखबिर की सूचना पर एसीपी विजयनगर के नेतृत्व में क्राइम ब्रांच टीम एवं थाना लसूड़िया के द्वारा संयुक्त कार्यवाही की गई। मुखबिर के द्वारा बताए स्थान पर दबिश देते वक्त फ्लैट में आरोपी मिले जो लैपटॉप एवं मोबाइल के माध्यम से ऑनलाइन सट्टा संचालित कर रहे थे।

ये हुए गिरफ्तार
(1). माधव बंसल, (2). तीर्थ सैनी, (3). नितिन उर्फ लखन तेली, (4). राहुल राठौर, (5). देवेंद्र सिंह चौहान, (6). विशाल, (7). लक्ष्य सैनी, (8). अंकित प्रजापति।

वेबसाइट पर बनाते थे आईडी
आरोपियों ने बताया कि वे Lotus 365 वेबसाइट के माध्यम से विभिन्न खेलों में इंटरनेट से ग्राहकों को आईडी बनाकर आईपीएल के मैच में सट्टा खिलवाते थे। फर्जी नाम से मोबाइल के सिम कार्ड तथा बैंक अकाउंट खुलवाए थे। ऑनलाइन ट्रांजैक्शन फोन पर क्यूआर कोड के माध्यम से अकाउंट में करते थे। अकाउंट से पैसा तुरंत दूसरे सुरक्षित अकाउंट में ट्रांसफर कर दिया करते थे। आरोपीगण से पूछताछ में ज्ञात हुआ कि उनका नेटवर्क देश के कई शहरों में फैला है। वे दिल्ली राजस्थान, नोएडा, रायपुर, दुर्ग, भिलाई तथा गुजरात और महाराष्ट्र में इस तरह के ऑनलाइन ठगी के सेंटर चल रहे हैं। फर्जी सिम कार्ड तथा फर्जी दस्तावेजों का उपयोग कर ठगी करने के प्रकरण में आरोपीगण के खिलाफ धारा 419, 420 आईपीसी तथा 3/4 गैंबलिंग एक्ट के तहत प्रकरण पंजीबद्ध किया गया है। सभी 08 आरोपियों को गिरफ्तार कर आरोपियों से इस अपराध से जुड़े अन्य आरोपियों के संबंध में पूछताछ की जा रही है।

यह मिला आरोपियों से 
आरोपियों के कब्जे से 22 मोबाइल, 17 चेकबुक, 05 लैपटॉप, 21 पासबुक, 31 एटीएम, 21 सिमकार्ड, 1 लाख 10 हजार नगदी एवं रजिस्टर मिले जिनमें ऑनलाइन सट्टे के हिसाब किताब का करोड़ों रुपए का लेखा जोखा पाया गया। 

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