भगवान शंकर को गृहस्थ लोगों का देवता कहा जाता है। लड़कियां मनचाहा पति पाने के लिए भोलेनाथ की पूजा करती है और व्रत, उपवास करती हैं। क्योंकि हर लड़की चाहती है कि उसका पति शिव-शंकर की तरह हो। महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। इस दिन व्रत और उपवास करने से सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। भगवान शिव के जीवन से एक आम इंसान को बहुत कुछ सीखने को मिलता है। जिसकी मदद से खुशहाल जिंदगी जी जा सकती है। तो चलिए जानें गृहस्थ लोगों के लिए भगवान शिव के जीवन से सीखी जा सकने वाली पांच बातें।
समानता का अधिकार
भगवान शिव ही एकमात्र ऐसे देवता है जिनको अर्धनारीश्वर कहा जाता है। इसका मतलब है कि उनका आधा शरीर पुरुष रूप में और आधा शरीर स्त्री रूप में रहता है। जिसका मतलब है कि भले ही पति-पत्नी भले ही शरीर से अलग हो लेकिन उनका मन हमेशा एक ही होता है। आजकल बहुत से विवाहित जोड़ों के बीच केवल अहंकार की लड़ाई होती है कि कौन दोनों में सबसे ज्यादा बड़ा है। जबकि भगवान शंकर यहीं सिखाते हैं कि स्त्री और पुरुष दोनों बराबर होते हैं।
प्यार
भगवान शिव और माता पार्वती का साथ उन सभी लोगों के लिए एक उदाहरण है जो विवाह करते समय बैंक बैलेंस और खूबसूरती को पहली अहमियत देते हैं। माता पार्वती ने भस्मधारी, गले में सर्प की माला वाले शिव को पसंद करके ऐसे लोगों को बताया है कि एक अच्छे गृहस्थ जीवन के लिए दोनों के बीच प्यार और समर्पण जरूरी है न कि पैसा और खूबसूरती।
ईमानदार
हर लड़की चाहती है कि उसे अपना जीवनसाथी भोले बाबा जैसा सीधा और प्यार करने वाला मिले। जो उसकी किसी बात को अनसुना न करें। भगवान शिव माता पार्वती से कितना प्यार करते थे ये इसी बात से पता चलता है कि जब माता पार्वती भगवान शिव के हुए अपमान से दुखी होकर सती हो गई थीं तो भगवान ने रौद्र रूप धारण करके दुनिया का विनाश करना शुरू कर दिया था। हालांकि बाद में वो देवताओं के समझाने के बाद शांत भी हो गए थे।
एक अच्छा मुखिया
जिस तरह परिवार का मुखिया अलग-अलग विचार होने के बावजूद अपने पूरे घर को एक साथ लेकर चलता है ठीक उसी तरह भगवान शिव भी अपने परिवार को एक साथ रखते हैं। उदाहरण के लिए भगवान शिव के गले में सांप की माला है जो कि उनके पुत्र गणेश के वाहन चूहे का शत्रु होता है। बावजूद इसके दोनों में कोई बैर नहीं देखा जाता। ठीक उसी तरह मां गौरी का वाहन का शेर और भगवान शिव का वाहन है बैल वो भी एक दूसरे के शत्रु होते हैं बावजूद इसके दोनों मिलकर रहते हैं। भगवान शिव ऐसे गृहस्थ के देवता हैं जो विषम परिस्थितियों में भी अपने परिवार को साथ लेकर चलते हैं।