आप की शादी से पहले से दुल्हन का स्वामित्व 3 लोगों को सौंपा जाता है। विवाह के समय जब पंडित आपको विवाह का मंत्र पढ़ा रहा होता है तब आप मंत्र का मतलब नहीं समझते हैं। असल में वैदिक परंपरा में नियम है कि स्त्री अपनी इच्छा से चार लोगों को पति बना सकती है। इस नियम को बनाए रखते हुए स्त्री को पतिव्रत की मर्यादा में रखने के लिए विवाह के समय ही स्त्री का संकेतिक विवाह तीन देवताओं से करा दिया जाता है।
4 पतियों से होती है स्त्री की शादी:
इसमें सबसे पहले किसी भी दूल्हन (कन्या) का पहला अधिकार चन्द्रमा को सौंपा जाता है, इसके बाद विश्वावसु नाम के गंधर्व को और तीसरे नंबर पर अग्नि को और अंत में उसके पति को सौंपा जाता है।
इसी ही वैदिक परंपरा के कारण ही द्रौपदी एक से अधिक पतियों के साथ रही थी। और फिर अंत में आपको दुल्हन का हाथ सोप जाता है।