हरियाणा पुलिस की एसआईटी को पंचकुला हिंसा और डेरा सच्चा सौदा मामले में कोर्ट ने तगड़ा झटका दिया है. अदालत ने 53 आरोपियों पर लगाई गई देशद्रोह और हत्या की कोशिश धाराओं को हटाने का फरमान सुनाया है. इसके बाद सवाल उठ रहा है कि क्या हरियाणा पुलिस इस तरह से सरकार पर किए गए गुरमीत राम रहीम के अहसानों का बदला चुका रही है.
नहीं ली थी गृह विभाग से इजाजत
इस मामले में सबसे बड़ा कानूनी पेच ये है कि हरियाणा पुलिस ने आरोपियों पर देशद्रोह का मामला दर्ज करने से पहले केंद्र और राज्य सरकार के गृह विभाग से इजाज़त नहीं ली थी. इसलिए कोर्ट के फरमान के बाद सवाल उठा कि क्या पुलिस ने दोषियों को बचाने के लिए जान बूझकर केंद्र और राज्य सरकार से देशद्रोह का मामले में इजाज़त नहीं ली?
अहम बात ये भी है कि 53 डेरा प्रेमियों के खिलाफ देशद्रोह साबित करने में नाकाम रहने वाली पुलिस, क्या हनीप्रीत को गुनाहगार साबित करवा पाएगी? अब ऐसा प्रतीत होता है कि डेरा सच्चा सौदा हिंसा मामले की जांच में जान बूझकर तथ्यों को नजर अंदाज़ किया गया. जिसकी वजह से हरियाणा पुलिस की फजीहत हो रही है.
कोर्ट में नाकाम पुलिस
पिछले साल हज़ारों डेरा समर्थकों को पंचकुला में घुसने से रोकने में नाकाम रही हरियाणा पुलिस अब हिंसा के आरोप में पकड़े गए गुरमीत राम रहीम के चेलों पर देशद्रोह के आरोप साबित करने मे फेल हो गई है. वजह है कि हरियाणा पुलिस के आला अधिकारियों ने देशद्रोह का मामला दर्ज करने से पहले न तो हरियाणा और न ही केंद्र सरकार के गृह विभाग से इजाज़त ली.
दूसरा देशद्रोह के आरोप साबित करने के लिए एसआईटी कोर्ट में सबूत भी नहीं दे पाई. यही नहीं कोर्ट ने डेरा के बदमाशों पर धारा 307 के तहत आरोप मानने से भी इनकार कर दिया. उधर, डेरा हिंसा मामले के याचिकाकर्ता वकील रविंदर ढुल्ल ने पुलिस पर जानबूझ कर ढिलाई बरतने का आरोप लगाया है. ढुल्ल के मुताबिक पुलिस ने जान बूझकर गृह विभाग से इजाज़त नहीं ली ताकि केस को कमजोर बना सकें.
पुलिस को पहले भी मिली फटकार
गौरतलब है कि जांच में खामियों के चलते हाई कोर्ट की बेंच से भी हरियाणा पुलिस को फटकार मिल चुकी है. पुलिस अधिकारियों ने डेरे से बाहर कैश और दूसरा कीमती सामान ले जाने वाले बलराज से भी पूछताछ नहीं की थी. यही नहीं डेरा की चेयरपर्सन विपासना इंसान के खिलाफ वारंट जारी होने के बावजूद भी उसे गिरफ्तार नहीं किया गया. हिंसा के मामले में आज तक गुरमीत राम रहीम को पुलिस आरोपी नहीं बना सकी. यही वजह है कि हरियाणा सरकार और पुलिस की नीयत पर सवाल उठ रहे हैं.
कोर्ट ने सुनाया था ये फरमान
सोमवार की सुबह पंचकुला हिंसा और आगजनी के मामलों की सुनवाई कर रही अदालत ने हरियाणा पुलिस की एसआईटी को बड़ा झटका दिया. कोर्ट ने आदेश दिया है कि 53 आरोपियों के खिलाफ दर्ज किए गए देशद्रोह और हत्या के प्रयास के आरोपों को एफआईआर से हटा दें. क्योंकि पुलिस के पास इन आरोपों को साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं हैं.
हालांकि कोर्ट ने साफ कर दिया कि हनीप्रीत इंसान , आदित्य इंसान और दूसरे लोगों के खिलाफ देशद्रोह और आपराधिक षड्यंत्र के मामले जारी रहेंगे. जिन आरोपियों के खिलाफ दर्ज देशद्रोह और हत्या के प्रयास की धाराएं हटाने को कहा गया है, उनमें पंचकुला डेरा के इंचार्ज चमकौर सिंह, प्रवक्ता सुरेंद्र धीमान सहित कुल 53 आरोपी शामिल हैं.
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 307 भी लगाई थी, लेकिन 25 अगस्त को हुई हिंसा के मामले से यह साबित नहीं होता कि किसी पुलिसकर्मी या अन्य को जान का खतरा है. मामले की जांच कर रही एसआईटी आरोपियों के खिलाफ लगाए गए देशद्रोह के आरोप भी साबित नहीं कर पाई.
बचाव पक्ष के वकीलों ने कोर्ट को बताया था कि पुलिस मामले से जुड़ी सीसीटीवी फुटेज की रिकॉर्डिंग या ऐसे तथ्य पेश नहीं कर पाई जिससे देशद्रोह के आरोप साबित हो सकें. बचाव पक्ष के वकील सुरेश रोहिल्ला के मुताबिक आरोपियों के खिलाफ अब पंचकुला की चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट की ट्रायल कोर्ट में सुनवाई होगी.
ये था पूरा मामला
गौरतलब है कि पिछले साल 25 अगस्त के दिन डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम को बलात्कार के मामले में दोषी करार दिए जाने के बाद पंचकुला में हिंसा भड़की थी. जिसमें 34 लोगों की मौत हो गई थी. इन दंगों की जांच करने के लिए पुलिस ने 8 से ज्यादा एसआईटी टीम बनाकर कोर्ट में चालान पेश किया था.
हिंसा के दौरान गुरमीत राम रहीम के समर्थकों ने करीब 400 करोड़ की सरकारी और निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया था. मामला अभी भी पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के समक्ष विचाराधीन है.