हरियाणा: किसानों की उम्मीदों पर बरसे ओले, 60 से अधिक गांवों में फसलों को नुकसान

हिसार में किसानों के अरमानों पर शनिवार को तीसरी बार ओले गिरे हैं। जिले के 60 से अधिक गांवों में ओले गिरने की शिकायत प्रशासन के पास पहुंची है। आदमपुर, बालसमंद, उकलाना, बरवाला, नलवा क्षेत्र में सरसों, गेहूं, जौ, चना आदि फसलों को सबसे अधिक नुकसान हुआ है।

दोपहर 2 से शाम 4 बजे के बीच बारिश के साथ ओले गिरे हैं। शनिवार को 25.6 एमएम बारिश भी दर्ज की गई है। मौसम विभाग के अनुसार रविवार को हल्की बारिश के आसार हैं। प्रदेश के अधिकतर जिलों में बादलों का प्रभाव रहेगा। आसमान में छाए काले बादल अब किसानों को डराने लगे हैं। किसी किसान को बीमा क्लेम नहीं मिलेगा।

पश्चिमी विक्षोभ के चलते शनिवार सुबह से ही आसमान में बादल छा गए थे। कुछ देर के लिए धूप खिली, दोपहर बाद तेज हवा चलने के साथ बादल भी गहराने लगे। दोपहर करीब 2 बजे बूंदाबांदी शुरू हो गई। ग्रामीण इलाकों में कई जगहों पर तेज बारिश के साथ भीषण ओलावृष्टि हुई।

इससे पहले जिले में 19 फरवरी को ओले गिरे थे, जिसमें 26 से अधिक गांवों में फसलों में नुकसान दर्ज किया गया था। एक मार्च को भी जिले के कुछ गांवों में ओलावृष्टि हुई थी। जिले में 5.52 लाख एकड़ में गेंहू, 2.25 लाख एकड़ में सरसों, 40 हजार एकड़ में चना, 35 हजार एकड़ में जौ की फसल है। कुल करीब 8.60 लाख एकड़ में फसलें हैं।

इस बार सर्दी के दिसंबर-जनवरी महीने में बारिश शून्य रही थी। दो महीनों में सामान्य तौर पर 17.3 एमएम बारिश होती है। दिसंबर-जनवरी महीने में एक अच्छी बारिश होने से किसानों को करोड़ों रुपये की बचत होती है। बारिश होने के बाद किसानों को सिंचाई के लिए डीजल इंजन व बिजली खर्च पर रुपये खर्च नहीं करने पड़ते।

इस बार अक्तूबर से जनवरी के चार महीने में केवल 5.5 एमएम बारिश हुई। औसतन इन चार महीनों में 30.2 एमएम बारिश होनी चाहिए थी। चार महीने में सामान्य से मुकाबले 85 प्रतिशत बारिश कम रही। बारिश होने से फसलों को सबसे अधिक फायदा होता है। जिसमें गेंहू, सरसों, चना, जौ की फसल को सबसे अधिक लाभ पहुंचता है। जिले में सबसे अधिक क्षेत्र में गेंहू व सरसों की फसल लगाई जाती है।

किस माह में सामान्य बारिश
अक्तूबर 9.6 एमएम
नवंबर 3.3 एमएम
दिसंबर 5.3 एमएम
जनवरी 12 एमएम

बीमा क्लेम का कोई ऑप्शन नहीं..
इस साल हिसार जिले में किसानों का फसल बीमा नहीं हुआ है। ऐसे में किसानों की फसलों को हुए नुकसान पर किसी तरह का बीमा क्लेम मिलने की संभावना नहीं है। नुकसान के मुआवजे के लिए अब सरकार पर ही किसानों को निर्भर रहना होगा। सरकार की ओर से मुआवजा देने के समय 25 प्रतिशत तक के नुकसान पर कोई मुआवजा नहीं दिया जाता। 26 प्रतिशत से अधिक नुकसान वालों को ही मुआवजा मिलने की उम्मीद रहेगी।

इन गांवों में ओले गिरने से सबसे अधिक नुकसान
घुड़साल, जगान, नंगथला, किरमारा, श्यामसुख, चौधरीवाली, ढाणी गारण, सीसवाला, बरवाला, तलवंडी राणा, जेवरा, जुगलान, सरसौद, बहबलपुर, बाडो पट्टी, धिकताना, बीड़ बबरान, धांसू,बुगाना,खेदड़, सुलखनी, शाहपुर, मात्रश्याम, डोभी, कुतियावालीं, बालसमंद ,सीसवाला ,रावलवास कलां, रावलवास खुर्द, शाहपुर, किरतान, खारिया, भिवानी रोहिल्ला, लुदास,हिंदवान, आर्यनगर , चंदन नगर, खारिया, डाेभी, बांडाहेड़ी, धीरणवास, देपल, रामायण, घिराय, मसूदपुर, अग्रोहा, मीरपुर, किराड़ा, संदोल, चिकनवास, हसनगढ़, पाली

जिले में शनिवार को काफी संख्या में गांवों में ओलावृष्टि हुई है। नुकसान के आकलन को लेकर राजस्व विभाग के अधिकारियों को पत्र जारी कर निर्देश दिए गए हैं। सभी तहसीलदारों को जल्द से जल्द रिपोर्ट तैयार कर जिला राजस्व अधिकारी को भेजनी होगी। रिपोर्ट मिलते ही इसे सरकार को भेजा जाएगा। – उत्तम सिंह, उपायुक्त, हिसार।

किसान की मेहनत पर ओलावृष्टि ने पानी फेरने का काम किया है। प्रदेश के कई जिलों में भीषण ओलावृष्टि से सभी फसलों का नुकसान हुआ है। जल्द से जल्द प्रदेश में स्पेशल गिरदावरी करवा कर किसानों को मुआवजा राशि दिया जाए। प्रदेश सरकार स्पेशल गिरदावरी के आदेश दे। – राजेंद्र बिचपड़ी, प्रदेश उपाध्यक्ष, भारतीय किसान संघ

2 मार्च को दोपहर को आई बारिश के साथ ओलावृष्टि ने नलवा हलके के गांवों सहित पूरे जिले में सरसों, गेहूं, जौ, चना की फसलों को बर्बाद कर दिया है। ओलावृष्टि को लेकर स्पेशल गिरदावरी करवाकर मुआवजा दिलवाया जाए। किसानों को बीमा क्लेम की तरह से 10 प्रतिशत नुकसान वालों को भी मुआवजा प्रदान किया जाए। – दिलबाग सिंह हुड्डा ,प्रदेश अध्यक्ष, भारतीय किसान यूनियन

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