अपीलकर्ता की मुख्य दलील यह है कि हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग (एचएसएससी) ने उन्हें इस आधार पर आर्थिक कमजोर वर्ग प्रमाणपत्र का लाभ नहीं दिया कि उन्होंने हरियाणा सरकार के स्थान पर भारत सरकार के लिए जारी ईडब्ल्यूएस का प्रमाण पत्र पेश किया।
हरियाणा सरकार के विभिन्न सरकारी विभागों में सेवारत क्लर्कों को बड़ी राहत देते हुए पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने उन्हें हटाने पर रोक लगा दी है। आर्थिक रूप से कमजोर (ईडब्ल्यूएस) श्रेणी के प्रमाणपत्र में विसंगतियां मिलने पर सरकार ने इन्हें हटाने के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया था।
याचिका में हाईकोर्ट को बताया गया कि याचिकाकर्ताओं को हटाने के संबंध में गत वर्ष जुलाई में कारण बताओ नोटिस दिया गया था। इस आदेश को याचिकाकर्ताओं ने हाईकोर्ट की सिंगल बेंच में चुनौती दी थी और हाईकोर्ट ने आदेश पर रोक लगा दी थी। बीते दिनों हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने उनकी याचिका को खारिज करते हुए रोक को हटा दिया था। ऐसे में अब खंडपीठ के समक्ष याचिका दाखिल की गई है।
हाईकोर्ट की कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रितु बाहरी और जस्टिस अमन चौधरी की खंडपीठ ने जींद निवासी विक्रम और अन्य की ओर से दायर अपील पर सुनवाई करते हुए अब याचिकाकर्ताओं को हटाने पर रोक लगा दी है। अपीलकर्ता की मुख्य दलील यह है कि हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग (एचएसएससी) ने उन्हें इस आधार पर आर्थिक कमजोर वर्ग प्रमाणपत्र का लाभ नहीं दिया कि उन्होंने हरियाणा सरकार के स्थान पर भारत सरकार के लिए जारी ईडब्ल्यूएस का प्रमाण पत्र पेश किया। दोनों प्रमाण पत्र में बुनियादी अंतर यह है कि ईडब्ल्यूएस प्रमाणपत्र केंद्र सरकार की नौकरी के लिए प्रति वर्ष 8 लाख रुपये से कम आय के लिए जारी किया जाता है, जबकि हरियाणा में ईडब्ल्यूएस प्रमाणपत्र छह लाख रुपये से कम आय के लिए जारी किया जाता है। याचिकाकर्ताओं ने बताया कि वह 5 हजार क्लर्क भर्ती का हिस्सा हैं और वर्तमान में विभिन्न विभागों में कार्यरत हैं।
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