हरियाणा के नए मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी वीरवार को पंचकूला में शपथ ग्रहण करेंगे। उनके साथ नए मंत्री भी शपथ लेंगे। मंत्रिमंडल में 10 से 12 मंत्री हो सकते हैं।
नायब सिंह सैनी को विधायक दल का नेता चुनने के बाद अब लोगों की नजरें वीरवार को शपथ लेने वाले मंत्रिमंडल के सदस्यों पर टिकी हैं। सैनी के साथ 10 से 12 मंत्री शपथ ले सकते हैं। भाजपा हाईकमान जाति व क्षेत्रीय समीकरण के आधार पर ही मंत्रिमंडल का गठन किया जाएगा। ऐसे में जो भी मंत्री बनेंगे, आलाकमान की ओर से उन्हें सुबह संदेश दिया जाएगा।
जो विधायक मंत्री बनने की दौड़ में शामिल हैं, उनमें सबसे ऊपर कृष्ण कुमार बेदी, अनिल विज, कृष्ण लाल पंवार, मूलचंद शर्मा, महिपाल ढांडा, रणबीर गंगवा, आरती राव, विपुल गोयल, राव नरबीर, अरविंद शर्मा, श्याम सिंह राणा, डॉ. कृष्ण मिड्ढा और राजेश नागर का नाम शामिल है। वहीं, हरविंद्र कल्याण व अनिल विज का नाम विधानसभा अध्यक्ष के तौर पर चल रहा है। भाजपा के नेताओं ने बताया कि हरियाणा में सीएम समेत 14 मंत्री मंत्रिमंडल में शामिल हो सकते हैं। दो मंत्री पद खाली छोड़े जाएंगे, जिन्हें बाद में भरे जाएंगे।
वहीं, क्षेत्रीय समीकरण के हिसाब से देखें तो भाजपा ने अहीरवाल क्षेत्र में अच्छी सीटें जीती हैं। ऐसे में अहीरवाल से दो मंत्रियों का बनना तय है। वहीं, एनसीआर क्षेत्र से भी दो मंत्री बनाए जा सकते हैं। इस बार जीटी बेल्ट का प्रतिनिधित्व कम हो सकता है। एक तो यहां से सीएम खुद विधायक हैं। वहीं, कुछ दिग्गज चुनाव हार गए हैं। ऐसे में जीटी बेल्ट से तीन से चार मंत्री होंगे। भाजपा ने इस बार जाट लैंड में भी सीटें जीती हैं। ऐसे में इन क्षेत्रों को भी इस बार प्रतिनिधित्व देने की बात कही जा रही है।
इसलिए विज से करवाया अनुमोदन
सैनी के नाम का अनुमोदन अनिल विज से करवाने के पीछे अमित शाह की सोची समझी रणनीति है। इसके पीछे दो बड़ी वजहें हैं। एक तो वह भाजपा के सबसे सीनियर विधायक हैं। वह सातवीं बार चुनकर विधानसभा पहुंचे हैं। जब सीनियर विधायक सैनी के नाम आगे रखेंगे तो किसी अन्य को कोई आपत्ति नहीं होगी। वहीं, अनिल विज भी सीएम पद की दावेदारी पेश करते आए हैं।
मीडिया में इसकी खूब चर्चा हुई। ऐसे में उनकी ओर से नाम रखे जाने की रणनीति यही थी कि सीएम पद को लेकर किसी तरह कोई कयासबाजी न लगाई जाए। सैनी का नाम प्रस्ताव नरवाना के विधायक कृष्ण कुमार बेदी ने रखा था। वह दलित समुदाय से आते हैं। दलितों ने इस बार भाजपा को अच्छा खासा समर्थन दिया है। ऐसे में बेदी के जरिये पार्टी दलितों को संदेश देना चाहती है कि भाजपा की सरकार में ही उनके प्रतिनिधि को सम्मान मिलता है।