हरियाणा: अब सीधे फार्मेसी कंपनियों को जड़ी-बूटियां बेच सकेंगे किसान

हरियाणा में जड़ी-बूटी की खेती करने वाले किसानों को अपनी फसल बेचने के लिए अब भटकना नहीं पड़ेगा। आयुष विभाग अब उन्हें एक प्लेटफार्म उपलब्ध करवाएगा, जहां वे सीधे आयुर्वेदिक औषधि निर्माण से जुड़े उद्योगों को जड़ी-बूटियां बेच सकेंगे। राज्य सरकार ने इसके लिए ई जड़ी-बूटी पोर्टल लॉन्च किया है। इसमें किसानों को पंजीकरण कराना होगा और उसमें अपनी जड़ी-बूटियों के बारे में जानकारी देनी होगी। इसी पोर्टल में औषधि निर्माण करने वाली औद्योगिक इकाइयां भी पंजीकृत होंगी जिससे वह किसानों से सीधे संपर्क करेंगी और मोल भाव कर जड़ी-बूटियां खरीद सकेंगी।

आयुष विभाग के मुताबिक इस पोर्टल का मकसद हरियाणा में जड़ी-बूटियां उगाने वाले किसानों के लिए एक बाजार उपलब्ध करवाना है ताकि उन्हें प्रोत्साहित किया जा सके। इससे उन्हें अपनी फसल का अच्छा दाम मिलेगा। हरियाणा की शिवालिक की पहाड़ियों में उच्च गुणवत्ता वाली जड़ी-बूटियों की खेती की जाती है जिनकी फार्मेसी उद्योग में काफी डिमांड रहती है इसलिए सरकार ने औद्योगिक इकाइयों को भी पोर्टल से जोड़ने का फैसला किया है। इसके साथ ही राज्य सरकार प्रदेश में औषधीय पादपों की खेती को भी बढ़ावा देना चाहती है। आयुष विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि इस व्यवस्था से किसानों व फार्मेसी इकाइयों के बीच व्यापारिक संबंध स्थापित होंगे। दाम अच्छे मिलेंगे तो खेती को बढ़ावा भी मिलेगा। अभी हरियाणा में इसकी कोई मंडी भी नहीं है। पूरे भारत में सिर्फ दस मंडियां हैं। हालांकि राज्य सरकार की भविष्य में एक मंडी खोलने की भी योजना है।

हरियाणा की इन जड़ी-बूटियां की मार्केट में ज्यादा मांग

आयुष विभाग के मुताबिक हरियाणा में करीब 70 औषधीय पौधे उगाए जाते हैं। हालांकि इनमें से मार्केट में सिर्फ 30-35 जड़ी-बूटियों की काफी मांग रहती है। इनमें मुख्य रूप से मुलैठी, इसबगोल, गुगुल, अश्वगंधा, तेज पत्ता, शतावरी, सर्पगंधा, हल्दी, अमला, हड़द, गिलोय, तुलसी, गुड़मार, बेल, कालमेघ, शीना, मोरिंगा, भृंगराज, धृतकुमारी, चंद्रशूर, ब्रह्मी, वच, कैम्फोर, अपराजिता, कालीहेड़ी व अन्य जड़ी-बूटियां शामिल हैं।

इन इलाकों में सबसे ज्यादा उगाई जाती हैं जड़ी-बूटियां

हरियाणा में कई किसान औषधि पादपों की खेती करते हैं। मुख्य रूप से शिवालिक की तलहटी में स्थित जिलों में इसकी खेती की जाती है। इनमें पंचकूला, अंबाला, यमुनानगर शामिल हैं। अंबाला के नारायणगढ़ को इसका गढ़ माना जाता है। वहीं, दिल्ली की मार्केट नजदीक होने के कारण सोनीपत में किसान इसकी काफी खेती करते हैं। इसके अलावा हिसार, सिरसा व राजस्थान से सटे हरियाणा के कई इलाकों में इसकी खेती की जाती है।

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