हरियाणा : अनिश्चितकाल के लिए प्रदेश की सब्जी मंडियां हो सकती हैं बंद

आढ़ती नोटिफिकेशन वापस लेने की मांग पर अड़े हैं। वे मंगलवार को आंदोलन की रणनीति बनाएंगे। मंगलवार को ही सब्जी मंडियों की अनिश्चितकालीन बंदी की घोषणा की जा सकती है।

पटवारियों और पेंशनर्स की नाराजगी अभी दूर नहीं हुई थी, अब प्रदेश के सब्जी व्यापारी भी आंदोलन की तैयारी में हैं। उनका कहना है कि सब्जियों पर ली जाने वाली मार्केट फीस को निरस्त करने के बजाय राज्य सरकार ने इसको एडवांस जमा करने का फरमान जारी कर रखा है।

सरकार के नए नोटिफिकेशन से जहां कारोबार प्रभावित होने का खतरा पैदा हो गया है, वहीं लोगों को हरी सब्जियों के लिए ज्यादा जेब ढीली करनी पड़ेगी। इस मसले पर लोगों का समर्थन जुटाने और सरकार पर दबाव बनाने के लिए प्रदेश के सब्जी मंडियों के आढ़ती मंगलवार को बैठक कर आंदोलन की तिथि और तरीके पर चर्चा करेंगे। मंगलवार को ही सब्जी मंडियों की अनिश्चितकालीन बंदी की घोषणा की जा सकती है।

यह है मसला
नई सब्जी मंडी, रोहतक के महासचिव साहिल मग्गू ने पूरे मसले को सरल तरीके समझाने का प्रयास किया है। उनके मुताबिक राज्य सरकार ने पहले हरी सब्जियों पर 1 फीसदी मार्केट फीस लगाई। इसे खरीदारों से लेकर सरकार के पास जमा करना था। इसके बाद इस पर 1 फीसदी एचआरडीएफ (हरियाणा रूरल डेवलपमेंट फंड) लिया जाने लगा। यह दो फीसदी राशि खरीदार से लेकर आढ़ती सरकार के खजाने में जमा करते हैं। लेकिन, 1 दिसंबर, 2023 को जारी नए नोटिफिकेशन के तहत मार्केट फीस के विभिन्न स्लैब बना दिए गए और स्लैब के मुताबिक फीस एडवांस में भरने को कहा गया। इसके विरोध में 20 दिसंबर 2023 को राज्य की सभी सब्जी मंडियों को बंद रखा गया तो नोटिफिकेशन पर अमल टाल दिया गया, लेकिन निरस्त नहीं किया गया। इसीलिए सब्जी मंडी के कारोबारियों में रोष है।

आपदा काल में मदद की, अब मजबूरी बनी
सब्जी कारोबारियों का कहना है कि राज्य में सब्जियों पर पहले कभी मार्केट फीस नहीं ली गई। कोरोना काल में राज्य सरकार ने 1 फीसदी मार्केट फीस यह कहकर लगाई थी कि आम लोगों की मदद हो सके और सामान्य खर्च चलता रहे। इसके बाद 1 फीसदी का भार दूसरे नाम से लाद दिया गया। अब कारोबार बढ़ने पर 2 फीसदी फीस से जमा राशि में कुछ फीसदी और बढ़ोतरी कर इसके नए स्लैब बना दिए गए। इन स्लैब के मुताबिक राशि एडवांस में जमा कराने को कहा जा रहा है।

सब्जी का कारोबार रोज का है। ग्राहक या खरीदार से मार्केट फीस लेकर उसे सरकारी खजाने में जमा करा देते हैं। इससे हमें अतिरिक्त भार नहीं पड़ता। नए नोटिफिकेशन के हिसाब से तो पहले मार्केट फीस के लिए धनराशि का इंतजाम करना पड़ेगा, इसके बाद सब्जियां खरीदने के लिए पैसे जुटाने पड़ेंगे। इससे सब्जी मंडियों के कारोबारियों का धंधा चौपट हो जाएगा। -साहिल मग्गू, महासचिव, नई सब्जी मंडी, रोहतक

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