भारतीय सशस्त्र बल बहुत अनुशासित हैं और मानवाधिकार कानून और अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानून के लिए अत्यंत सम्मान का भाव रखते हैं।
इंडियन आर्म्ड फोर्सेज का लोकाचार इंसानियत और शराफत है। वे बेहद धर्मनिरपेक्ष हैं। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) के एक कार्यक्रम में थल सेनाध्यक्ष जनरल बिपिन रावत ने यह बात कही।
सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत अपने बयानों से अक्सर सुर्खियों में रहते हैं। बता दें कि जनरल बिपिन रावत संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों पर टिप्पणी करते हुए गुरुवार को कहा कि यदि नेता हमारे शहरों में आगजनी और हिंसा के लिए विश्वविद्यालयों और कॉलेज के छात्रों सहित जनता को उकसाते हैं, तो यह नेतृत्व नहीं है।
सेना प्रमुख ने कहा था कि नेता जनता के बीच से उभरते हैं, नेता ऐसे नहीं होते जो भीड़ को “अनुचित दिशा” में ले जाएं।’उन्होंने कहा था कि नेता वह होते हैं, जो लोगों को सही दिशा में ले जाते हैं। उनके इस बयान पर विपक्षी नेताओं ने उनकी जमकर आलोचना की और उनके बयान को राजनीति से प्रेरित बताया।