दुनिया भर में वैश्विक महामारी कोरोना वायरस का कहर बीते एक साल से जारी है। वहीं अब यूके से आए कोविड के नए स्ट्रेन से हाहाकार मचा हुआ है। भारत में इस स्ट्रेन से संक्रमितों की संख्या 100 पहुंचने वाली है। इसी बीच, मुंबई में तीन मरीजों में कोविड का ऐसा स्ट्रेन पाया गया है, जिसपर एंटीबॉडी का भी असर नहीं हो रहा है।
मुंबई मेट्रोपॉलिटन रीजन के खारघर में टाटा मेमोरियल सेंटर में कोरोना का नया म्यूटेंट मिला है। इस म्यूटेशन को E484K के नाम से जाना जाता है। वैज्ञानिकों के मुताबिक, यह दक्षिण अफ्रीका में मिले कोरोना के स्ट्रेन से संबंधित है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, यह दक्षिण अफ्रीका में पाए गए तीन म्यूटेशन्स (K417N, E484K and N501Y) में से एक है। टाटा मेमोरियल सेंटर के होमयोपेथी विभाद के प्रोफेसर डॉक्टर निखिल पटकर ने इसकी जानकारी दी है।
डॉक्टर निखिल की टीम ने ही 700 कोविड-19 नमूनों की जीनोम सीक्वेंसिंग के जरिये जांच की थीं, जिनमें से तीन के नमूनों में कोरोना का E484K म्यूटेंट मिला है। कोविड का यह म्यूटेंट मिलना इसलिए चिंता का विषय है क्योंकि पुराने वायरस की वजह से शरीर में प्रतिरोधक क्षमता की वजह से बनी तीन एंटीबॉडी इस पर बेअसर हैं।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, दक्षिण अफ्रीका में मिले म्यूटेंट को यूके वाले स्ट्रेन से ज्यादा खतरनाक बताया जा रहा है। चूंकि वैक्सीन एंटीबॉडी बनाने के सिद्धांत पर काम करती है, ऐसे में रिसर्चर यह पता लगाने में जुट गए हैं कि कोरोना के इस म्यूटेंट का दुनियाभर में शुरू हो रहे टीकाकरण अभियान पर क्या असर होगा।
जिन तीन मरीजों में कोरोना का यह म्यूटेंट पाया गया, वे बीते साल सितंबर में कोरोना संक्रमित हुए थे। तीनों की उम्र 30, 32 और 43 साल है। इनमें से दो मरीज रायगढ़ के और एक ठाणे से है। हालांकि, इनमें से दो के अंदर कोरोना के हल्के लक्षण थे और इन्हें होम आइसोलेशन में रखा गया था और एक को अस्पताल में भर्ती किया गया था, लेकिन उस मरीज को भी ऑक्सीजन सपोर्ट या वेंटिलेटर की जरूरत नहीं पड़ी थी।
विशेषज्ञ इस म्यूटेंट को ज्यादा खतरनाक नहीं मान रहे हैं। पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया के डॉक्टर गिरिधर बाब का कहना है कि यह म्यूटेंट सितंबर से भारत में मौजूद है, अगर यह इतना ही खतरनाक होता, तो अभी तक भारत में हाहाकार मच गया होता।