कोरोना वायरस ने दिल्ली में 40 दिन का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। इसी के साथ ही बीते 10 दिन में 12 हजार केस मिलने के बाद स्वास्थ्य विभाग में हलचल तेज हो गई है। एक बार फिर से अधिकारी जिलेवार समीक्षा में जुट चुके हैं।

जानकारी के अनुसार बीते 16 जुलाई को दिल्ली में एक दिन में 1652 कोरोना संक्रमित मिले थे। इसके बाद बीते 25 अगस्त को 1500 से ज्यादा मरीज सामने आए हैं। ऐसे में इन बढ़ते नए और सक्रिय मामलों ने दिल्ली सरकार की चिंता बढ़ा दी है। हालांकि, दावा किया जा रहा है कि जो नए केस आ रहे हैं, उनमें से अधिकतर हल्के लक्षण या फिर बिना लक्षण वाले हैं।
सफदरजंग अस्पताल के डॉक्टर जुगल किशोर का कहना है कि कोरोना बढ़ने का सबसे बड़ा कारण है मिलना-जुलना। लोग अब एक-दूसरे से बेझिझक मिल रहे हैं। लोगों को मास्क लगाने के अलावा एक दूसरे से शारीरिक दूरी और बार- बार हाथ धोने की आदत को भूलना नहीं चाहिए।
एक दिन पहले भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के महानिदेशक डॉ. बलराम भार्गव ने कहा कि देश अनलॉक- 4 की ओर बढ़ रहा है। साथ ही दिल्ली और एनसीआर की आबादी सबसे ज्यादा हाईरिस्क पर है। इसलिए लोगों को संक्रमण से बचाव के उपायों पर बेहतर तरीके से अमल करना चाहिए। किसी भी तरह की लापरवाही बड़ा नुकसान दे सकती है।
दिल्ली स्वास्थ्य विभाग के एक शीर्ष अधिकारी का कहना है कि कोरोना मरीजों की बढ़ती संख्या को लेकर जमीनी स्तर पर सभी टीमें कार्य कर रही हैं। जिलावार समीक्षा भी लगातार चल रही है।
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की निगरानी में हर जिले की स्थिति को लेकर रणनीति बनाई जा रही है। हालांकि ,उनका यह भी मानना है कि अब चुनौति पहले से ज्यादा है क्योंकि दिल्ली में एक वक्त तक मरीजों की संख्या कम करना जरूरी था, लेकिन अब नियंत्रण को कायम रखना दिल्ली सरकार की सबसे बड़ी चुनौती है।
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